भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने हाल ही में अपने सौवें मिशन के रूप में आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से जीएसएलवी-एफ15 प्रक्षेपण यान के माध्यम से NVS-02 नेविगेशन सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इस महत्वपूर्ण मील का पत्थर को प्राप्त करते हुए इसरो ने अंतरिक्ष नेविगेशन के क्षेत्र में भारत को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाने की बात कही।
प्रक्षेपण यान जीएसएलवी-एफ15 ने प्रातः 6:23 बजे उड़ान भरी और NVS-02 को अंतरिक्ष में स्थापित किया। यह लॉन्च न केवल इसरो की सामर्थ्य को दर्शाता है, बल्कि देश की अंतरिक्ष अनुसंधान क्षमताओं के विस्तार का प्रमाण भी है।
इसरो की अंतरिक्ष यात्रा के इतिहास में कई महत्वपूर्ण पड़ाव आए हैं। 1962 में अंतरिक्ष अनुसंधान समिति की स्थापना से लेकर, 1963 में प्रथम रॉकेट लॉन्च, 1975 में पहला स्वदेशी उपग्रह आर्यभट्ट का प्रक्षेपण, 1980 में पहला सैटेलाइट लॉन्च वाहन विकसित करने तक, इसरो ने निरंतर प्रगति की है। विशेष रूप से, 2008 में चंद्रयान-1, 2013 में मंगलयान, 2017 में 104 उपग्रहों का साथ में प्रक्षेपण, 2019 में चंद्रयान-2, और हाल ही में 2023 में चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण के साथ ही 2024 में SPADEX मिशन के सफल परीक्षण को अंजाम दिया गया। जनवरी 2024 में भारत ने SPADEX सफलतापूर्वक पूरा करके सैटेलाइट डॉकिंग करने वाला विश्व का चौथा देश बन गया।
इन उपलब्धियों के साथ, इसरो न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अंतरिक्ष अनुसंधान में अपनी साख स्थापित कर रहा है।