अदालतों में स्थानीय भाषाओं के इस्तेमाल हो :मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने अदालती फैसलों में स्‍थानीय भाषा को बढ़ावा देने का आह्वान किया है, इससे न्‍यायिक व्‍यवस्‍था में आम आदमी का विश्‍वास बढ़ेगा। नई दिल्‍ली में आयोजित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए  मोदी ने कहा कि सरकार न्यायिक प्रणाली में प्रौद्योगिकी की संभावनाओं को डिजिटल इंडिया मिशन का एक अनिवार्य हिस्सा मानती है।

प्रधानमंत्री ने आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर न्यायपालिका और कार्यपालिका की भूमिका और जिम्मेदारी को भी स्पष्ट किया। श्री मोदी ने कहा कि ‘अमृत काल’ में देश में ऐसी न्यायिक व्यवस्था हो जिसमें सबको आसानी से और शीघ्र न्‍याय मिले।

जेल में बंद विचाराधीन कैदियों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में ऐसे साढ़े तीन लाख कैदी हैं, जिनमें से अधिकतर गरीब और सामान्‍य परिवारों से हैं। उन्‍होंने मुख्‍यमंत्रियों और उच्‍च न्‍याया‍लयों के न्‍यायाधीशों से कहा कि वे ऐसे मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निपटाएं।

उन्होंने कहा कि जनहित याचिका के पीछे अच्छे इरादों का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। व्‍यक्तिगत हित की वजह से अधिकारियों को धमकाया नहीं जाना चाहिए और कामकाज में रूकावट पैदा नहीं करनी चाहिए। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि संविधान ने तीनों संवैधानिक संस्‍थाओं को अलग-अलग अधिकार दिये हैं और प्रत्‍येक को अपनी-अपनी सीमाओं का ध्‍यान रखना चाहिए।

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