अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी से उत्तर प्रदेश के उद्योगों पर संकट

अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने से उत्तर प्रदेश के औद्योगिक केंद्र नोएडा, कानपुर और वाराणसी में गंभीर चुनौतियां उत्पन्न हो गई हैं। विशेषतः वस्त्र, चर्म, हस्तशिल्प और बनारसी साड़ी उद्योग इससे प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो रहे हैं।

नोएडा से वार्षिक लगभग 50,000 करोड़ रुपये का वस्त्र निर्यात होता है, जिसमें से 13,000 करोड़ रुपये का निर्यात अमेरिका को किया जाता है। अपैरल एक्सपोर्ट क्लस्टर के अध्यक्ष ललित ठुकराल के अनुसार, पूर्व में 12% शुल्क से बढ़कर अब 50% टैरिफ लगने से उद्योग अस्तित्व संकट का सामना कर रहा है। उन्होंने सरकार से 15-20% राहत, ब्याज-मुक्त ऋण और वित्तीय सहायता की मांग की है।

कानपुर-उन्नाव क्षेत्र, जो भारत का प्रमुख चर्म उत्पादन केंद्र है, में भी स्थिति गंभीर है। चर्म निर्यात परिषद के क्षेत्रीय अध्यक्ष असद इराकी के अनुसार, अमेरिका के लिए निर्धारित 2,000 करोड़ रुपये से अधिक के आदेश निरस्त हो चुके हैं। इस क्षेत्र में 300 से अधिक इकाइयां हैं, जिनसे लगभग 10 लाख लोगों की आजीविका जुड़ी है।

वाराणसी में, बनारसी साड़ियों और कालीन व्यवसाय पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। व्यापारी संजय मेहता के अनुसार, ऑनलाइन और कूरियर-आधारित बिक्री प्रभावित हो रही है। भदोही, रामपुर और मुरादाबाद के उद्यमी भी सहायता की अपेक्षा कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश का निर्यात, जो 2017 में 80,000 करोड़ रुपये था, 2025 तक 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक पहुंच गया है। राज्य की “एक जिला, एक उत्पाद” नीति ने स्थानीय कारीगरों को वैश्विक बाजारों से जोड़ा है, परंतु नए टैरिफ से इस प्रगति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है। सरकार शीघ्र ही निर्यातकों के लिए राहत पैकेज की घोषणा करने की योजना बना रही है।

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