पूरा देश इस्लामिक कट्टरवाद के कारण हो रही हिंसा से त्रस्त है। सीएए, कोरोना, हिजाब और नूपुर विवाद के नाम पर वे देश को उन्मादी हिंसा की आग में झुलसाने के प्रयास कर रहे हैं। इस्लामिक कट्टरपंथी आतंकवाद को भी बढ़ावा दे रहे हैं। दुर्भाग्य से तमिलनाडु जेहादी आतंकवादियों की भर्ती का केंद्र बन गया है।
हाल के महीनों में एनआईए ने बहुत से इस्लामी आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है। जांच में पता चला है कि इन आतंकवादियों की वित्तीय और दूसरी सभी तरह की सहायता के तार तमिलनाडु में मौजूद स्लीपर सेल से जुड़े हैं। लगता है कि ऐसे तत्वों के मामले में राज्य सरकार की एजेंसियां ढिलाई बरत रही हैं। राज्य पुलिस की अकर्मण्यता तमिलनाडु में इस्लामिक कट्टरपंथी समूहों को बढ़ावा दे रही है, जो मासूमों के प्रति हिंसा में लिप्त हैं।
तमिलनाडु में 1985 से लेकर, ऐसे इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा अब तक हिंदुओं के सौ से अधिक सामाजिक और राजनैतिक नेताओं की हत्या की जा चुकी है। विश्व हिंदू परिषद का आग्रह है कि ऐसे तत्वों के साथ कड़ाई से निपटा जाए, ताकि इस्लामिक धार्मिक कट्टरवाद के नाम पर होने वाले खून-खराबे पर रोक लगाई जा सके।