उत्तराखंड विधानसभा में आज बुधवार को यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी UCC बिल ध्वनि मत से पारित हो गया। इसी के साथ UCC बिल पास करने वाला उत्तराखंड आजाद भारत का पहला राज्य बन गया है। बता दें कि सीएम पुष्कर धामी ने 6 फरवरी को विधानसभा में यह बिल पेश किया था।
बिल पास होने के बाद अब इसे राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। जहां राज्यपाल की मुहर लगते ही यह बिल कानून बन जाएगा। इस बिल के कानून बनते ही उत्तराखंड में लिव इन रिलेशन में रह रहे लोगों को रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी हो जाएगा। इसके अलावा पति या पत्नी के जीवित रहते हुए दूसरी शादी भी गैर-कानूनी मानी जाएगी। बिल पास होने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा आज का ये दिन उत्तराखंड के लिए बहुत खास दिन है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करते हुए कहा कि उनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन से इस विधेयक उत्तराखंड की विधानसभा में पारित करने का मौका मिला।
यूनिफॉर्म सिविल कोड के लागू होने से होंगे ये बदलाव
मौत के बाद संपत्ति पर हक : अगर किसी व्यक्ति की मौत जाती है तो यूनिफॉर्म सिविल कोड उस व्यक्ति की संपत्ति को पति/पत्नी और बच्चों में समान रूप से वितरण का अधिकार देता है। इसके अलावा उस व्यक्ति के माता-पिता को भी संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा। पिछले कानून में ये अधिकार केवल मृतक की मां को मिलता था।
समान कारण पर ही मिलेगा तलाक : पति-पत्नी को तलाक तभी मिलेगा, जब दोनों के आधार और कारण एक जैसे होंगे। केवल एक पक्ष के कारण देने पर तलाक नहीं मिलेगा।
लिव इन का रजिट्रेशन जरूरी: उत्तराखंड में रहने वाले कपल अगर लिव इन में रह रहे हैं तो उन्हें इसका रजिस्ट्रेशन कराना होगा। हालांकि ये सेल्फ डिक्लेरेशन जैसा होगा, लेकिन इस नियम से अनुसूचित जनजाति के लोगों को छूट प्रदान की जाएगी।
संतान की जिम्मेदारी : यदि लिव इन रिलेशनशिप से कोई बच्चा पैदा होता है तो उसकी जिम्मेदारी लिव इन में रहने वाले कपल की होगी। दोनों को उस बच्चे को अपना नाम भी देना होगा। इससे राज्य में हर बच्चे को पहचान मिलेगी।