उत्पाद शुल्क में बदलाव से बिना बोझ बढ़ाए सरकार को मिलेगा आर्थिक बल

भारत सरकार ने सोमवार को पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 2-2 रुपए की वृद्धि करने की घोषणा की, जो मंगलवार से प्रभावी होगी। हालाँकि वैश्विक बाजार में तेल की कीमतों में गिरावट के चलते इन ईंधनों की खुदरा कीमतें अपरिवर्तित रहेंगी।

कम कच्चे तेल की कीमतें इंडियन ऑयल और भारत पेट्रोलियम जैसी तेल रिफाइनिंग और मार्केटिंग कंपनियों के लिए उत्पादन लागत घटा देंगी, जिससे उनके खुदरा मार्जिन में बढ़ोतरी होगी। पेट्रोल पर अब उत्पाद शुल्क 13 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपए प्रति लीटर कर दी गई है।

यह कदम सरकार को बिना उपभोक्ताओं पर बोझ डाले अतिरिक्त राजस्व जुटाने में सहायता करेगा। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर स्पष्ट किया कि शुल्क वृद्धि के बावजूद पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में कोई बदलाव नहीं होगा।

यह निर्णय वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में चार वर्षों के न्यूनतम स्तर पर गिरावट के मद्देनजर लिया गया है। वर्तमान में ब्रेंट क्रूड 63 डॉलर प्रति बैरल और यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट 59.57 डॉलर पर है। भारत, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का आयातक है, तेल की कीमतों में गिरावट का लाभ उठा रहा है, जिससे आयात बिल में कमी होगी और चालू खाता घाटा (सीएडी) कम होगा।

तेल की कीमतों में गिरावट का लाभ भारतीय अर्थव्यवस्था को मिल रहा है, क्योंकि इससे पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। सरकार ने पश्चिमी दबावों के बावजूद रियायती मूल्य पर रूसी तेल खरीदकर आयात लागत को नियंत्रित किया है। रूस ने इराक और सऊदी अरब को पीछे छोड़ते हुए भारत के लिए प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता की भूमिका हासिल कर ली है, जो भारत के कुल तेल आयात का लगभग 38 प्रतिशत है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here