काशी विश्वनाथ मंदिर के मूल स्थान और मथुरा में श्रीकृष्ण के जन्म स्थान पर अपने दावों के प्रति हिंदू समाज दृढ़प्रतिज्ञ है। विश्व हिंदू परिषद इसके लिए देश के कानून और संविधान के अंतर्गत शांतिपूर्ण संघर्ष करेगी। अभी दोनों मामले माननीय न्यायालयों में हैं, इसलिए उचित यही रहेगा कि दोनों पक्ष विधिक निर्णय की प्रतीक्षा करें।
धार्मिक हिंसा बंद हो:
दो लोगों के बयानों की प्रतिक्रिया में हाल ही में देश भर में धार्मिक उन्मादियों द्वारा की गई हिंसा और निजी संपत्ति, पुलिस कर्मियों और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की विश्व हिंदू परिषद घोर निंदा करती है। दोनों के विरुद्ध कई एफआईआर हो चुकी हैं, फिर भी कुछ उन्मादी नेता शत्रु देश और भारत विरोधी कुछ समूहों के दुष्प्रचार के उकसावे में आकर कानून को अपना काम नहीं करने देना चाहते। वे दोनों लोगों के गले काटने और आंखें फोड़ने की धमकियां दे रहे हैं। उपद्रवी समूह हिंदुओं की संपत्तियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और सड़कों पर हिंसा और उत्पात कर रहे हैं। भारत संविधान से चलता है, शरिया कानून से नहीं। कोई उन्मादी व्यक्ति या भीड़ किसी को दोषी ठहरा कर सजा नहीं सुना सकती।
हिंदू मंदिर सरकारी नियंत्रण से बाहर हों:
बड़े खेद की बात है कि कुछ राज्य सरकारें हिंदू मंदिरों की व्यवस्था नियंत्रित कर रही हैं। विश्व हिंदू परिषद का मानना है कि यह प्रवृत्ति ब्रिटिश राज में शुरू हुए औपनिवेशीकरण को आज भी लागू रखने जैसी ही है। विश्व हिंदू परिषद हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने और उनका प्रबंधन व्यापक हिंदू समाज के हाथ में देने के अपने आंदोलन को तेज करेगी। हिंदू मंदिरों की धन-संपदा हिंदू मंदिरों को चलाने और हिंदुओं से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों पर ही व्यय होनी चाहिए। सरकारों को अपना प्रशासकीय व्यय मंदिरों के धन से नहीं चलाना चाहिए।
हिंदू स्मारकों का संरक्षण और सेवा गतिविधियों का विस्तार:
विश्व हिंदू परिषद हिंदू स्मारकों के संरक्षण के प्रयासों की गति बढ़ाएगी, ताकि हिंदू परिवारों में उनके सम्मान की परंपरा सुदृढ़ रहे। परिषद इसके लिए नई पीढ़ी को प्रेरित करती रहेगी, ताकि वह किन्हीं बाहरी शक्तियों के व्यवधान में न फंस कर धर्म का पालन करती रहे। विश्व हिंदू परिषद जातीय भावना दूर कर हिंदू समाज को जोड़ने और संरक्षित रखने वाले अपने सेवा प्रकल्पों का विस्तार करेगी, ताकि संपूर्ण समरसता का वातावरण बन सके।