गाजा: संघर्ष थमा नहीं — इजरायल ने दोहराई लड़ाई में लौटने की चेतावनी

गाजा में हमास और इजरायल के बीच युद्धविराम के बाद स्थिति नाजुक बनी हुई है। इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज़ ने साफ चेतावनी दी है कि अगर हमास ने अपने बन्धकों की रखवाली से जुड़ी शर्तें पूरी नहीं कीं — विशेषकर हथियारबंद ढाँचों का उन्मूलन और सभी मृत बन्धकों के शवों की वापसी — तो इजरायली सेना फिर से सक्रिय हो सकती है। यह बयान उस समय आया है जब युद्धविराम के छठे दिन हमास ने अपनी हिरासत में रखे गए दो और मृत बन्धकों के शव सौंपे और कहा कि वे अब अपने कब्जे में बचे अंतिम शव हैं।

काट्ज़ ने वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों और चीफ ऑफ स्टाफ को निर्देश दिया है कि अगर गाजा में अभियान फिर से शुरू करने का आदेश मिलता है तो उसे अंजाम देने के लिए व्यापक सैन्य योजना तैयार की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि हमास ट्रंप-प्रस्तावित शर्तों का पालन करने से इनकार करता है तो इजरायल, अमेरिका के साथ समन्वय कर, आवश्यक कार्रवाई करेगा ताकि हमास की सैन्य क्षमताओं को समाप्त किया जा सके और गाजा को ‘निरस्त्रीकृत’ किया जा सके। उनके मुताबिक इसका लक्ष्य सुरंगों और आतंकवादी ढांचों को नष्ट करना और भविष्य में किसी भी प्रकार के खतरे को जड़ से मिटाना है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी। जब उनसे पूछा गया कि क्या संभव है कि हमास निर्दोष नागरिकों को नुकसान पहुंचा रहा है, तो ट्रंप ने कहा कि वे घटनाओं की जांच कर रहे हैं और उन्होंने यह संभावना जताई कि हमास के भीतर ही कुछ हिंसक गिरोह या समूह सक्रिय हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर इजरायल को कार्रवाई के लिए कहेंगे तो वह आवश्यक कदम उठाएगा — और साथ ही संकेत दिया कि अमेरिका और इजरायल मिलकर स्थिति का सामना करेंगे।

वर्तमान में वार्ताकारों के बीच शवों की वापसी और बेअस्रीकरण जैसी संवेदनशील शर्तों पर अमल की निगरानी जारी है। दोनों पक्षों के बीच मौजूद गतिरोध और शर्तों की निगरानी यह दिखाती है कि युद्धविराम अस्थायी रूप से भले कायम दिखे, पर परिस्थितियां किसी भी पल तेज हो सकती हैं।

विश्लेषक मानते हैं कि मृतकों के परिवारों की मांगों, स्थानीय सुरक्षा दावों और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच संतुलन बनाना अभी बड़ी चुनौती है। यदि शर्तों का पालन नहीं होता या किसी भी तरह का उल्लंघन दिखता है तो इलाके में सैन्य कार्रवाई का риск फिर से बढ़ जाएगा — और उससे मानवीय संकट और भी गहरा सकता है।

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