कठुआ जिले में पुनः आतंकवादियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ हुई है। हीरानगर सेक्टर के सान्याल गांव में संदिग्ध गतिविधियों की सूचना के बाद सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह (SOG) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) ने क्षेत्र को घेर लिया। आतंकियों की तलाश के दौरान गोलीबारी शुरू हो गई, जिससे मुठभेड़ छिड़ गई। चार से पांच आतंकवादियों के छिपे होने की आशंका है, जिसके कारण अतिरिक्त सुरक्षाबलों को बुलाया गया है और क्षेत्र की कड़ी निगरानी की जा रही है।
इससे पहले भी कठुआ में आतंकवादी गतिविधियां देखी गईं। 5 मार्च को मरहून गांव में तीन नागरिकों की हत्या हुई, जिसके बाद व्यापक तलाशी अभियान चलाया गया। 8 मार्च को उनके शव बरामद हुए, जिसने क्षेत्र में दहशत फैला दी। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस घटना को चिंता का विषय बताया और कहा कि यह नृशंस हमला जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के पुनरुत्थान का संकेत देता है।
इस घटना के बाद, केंद्र सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए उच्च स्तरीय बैठकें की। केंद्रीय गृह सचिव ने जम्मू का दौरा किया और अमरनाथ यात्रा और उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक की सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा की। बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों को देखते हुए सुरक्षाबलों को अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए। विशेषज्ञों के अनुसार, आतंकवाद विरोधी अभियानों के कारण कश्मीर घाटी में आतंकियों की संख्या घटी है, जिससे वे अब पहाड़ी इलाकों में हमले करने की रणनीति अपना रहे हैं।
हाल के हमलों से यह भी पता चला है कि आतंकवादी अब पहले से अधिक घातक हथियारों का उपयोग कर रहे हैं। सुरक्षाबलों ने ऐसी घटनाएं दर्ज की हैं, जहां आतंकियों ने एम4 असॉल्ट राइफल, ग्रेनेड और कवच-भेदी गोलियों का इस्तेमाल किया। यह खतरे के बढ़ते स्तर को दर्शाता है और सुरक्षाबलों के लिए चुनौती को और गंभीर बना देता है।