जामा मस्जिद में लड़कियों के अकेले प्रवेश को बैन कर दिया गया है। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जामा मस्जिद प्रबंधन के इस फैसले की आलोचना करते हुए कहाकि, महिलाओं के साथ दोयम दर्जे का बरताव क्यों।
दुनिया में मुस्लिम लड़कियां अपने हक की लड़ाई के लिए संघर्ष कर रहीं है। उस वक्त विश्व प्रसिद्ध दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद में लड़कियों के अकेले प्रवेश को बैन कर दिया गया है। जामा मस्जिद प्रशासन ने आदेश जारी करने के साथ-साथ मस्जिद के तीनों गेट पर पट्टी लगा दी है। जिसमें लिखा है कि, जामा मस्जिद में लड़कियों का अकेले दाखिल करना मना है।
जामा मस्जिद के इस आदेश लेकर सामाजिक कार्यकर्ता शहनाज अफजल ने कहा कि, भारत जैसे देश में जहां हर किसी को बराबरी का अधिकार मिला हुआ है। उसमें इस तरह का फैसला संविधान को ताक पर रखने जैसा है। इस तरह का फैसला किसी भी सूरत में मान्य नहीं है।
VHP के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने भी ट्विट कर लिखा है कि तीन तलाक, हलाला, हिजाब और काले बोरे में कैद रखने वाले जिहादी ठेकेदार मुस्लिम बेटियों को व्यभिचार के अड्डे बनते मदरसों में भेजने की तो वकालत करते हैं किन्तु, मस्जिदों के गेट पर लट्ठ लेकर खड़े हो जाते हैं..?इसके अलावा भारत को सीरिया बनाने की मानसिकता पाले ये मुस्लिम कट्टरपन्थी ईरान की घटनाओं से भी सबक नहीं ले रहे .!!
ये भारत है, जहां की सरकार का नारा है..
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, बेटी बढ़ाओ
और जामा मस्जिद में नारी निषेध है??