रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के टी-72 टैंकों के लिए रूस के रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के साथ 248 मिलियन डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट किया है। इस सौदे के तहत, अधिक शक्तिशाली 1000 एचपी इंजन की खरीद की जाएगी, जिसमें ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी (टीओटी) भी शामिल है। टी-72 टैंक भारतीय सेना के मुख्य टैंक हैं, जो वर्तमान में 780 एचपी इंजन से संचालित होते हैं। इन टैंकों को 1000 एचपी इंजन से लैस करने से भारतीय सेना की युद्धक्षेत्र गतिशीलता और आक्रामक क्षमता में वृद्धि होगी।
टी-72 टैंकों का विकास और निर्माण 1960 के दशक में सोवियत रूस द्वारा किया गया था। 1962 में चीन के साथ लड़ाई के बाद, भारत ने आधुनिक हथियारों से सेना को लैस करने की योजना बनाई। इसी क्रम में, 1970 के आसपास, भारत ने रूस से टी-72 टैंक खरीदे। यह यूरोप से बाहर भारत का पहला टैंक सौदा था और तब से यह भारतीय सेना का भरोसेमंद साथी रहा है।
भारत के रक्षा उत्पादन ने 2023-24 में 1.27 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड स्तर हासिल किया, जो 2014-15 के 46,429 करोड़ रुपये से 174 प्रतिशत अधिक है। देश का लक्ष्य 2029 तक रक्षा उत्पादन को 3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाना है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आत्मनिर्भरता के प्रयास सफल साबित हो रहे हैं, और देश 2029-30 तक रक्षा निर्यात में 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की ओर अग्रसर है।
केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी समर्थन और निजी क्षेत्र की भागीदारी से भारत का रक्षा क्षेत्र वित्त वर्ष 24-29 के दौरान लगभग 20 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ेगा।