ट्रंप का गाजा समझौता: राजनीतिक दांव या शांति की अंतिम उम्मीद?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा संकट के समाधान हेतु एक विवादास्पद प्रस्ताव प्रस्तुत किया है, जिसमें हमास के लिए केवल 72 घंटे की अल्टीमेटम शामिल है। यह कूटनीतिक दबाव रणनीति है या वास्तविक शांति प्रयास, यह प्रश्न राजनीतिक विशेषज्ञों के बीच गहन चर्चा का विषय बना हुआ है।

 

ट्रंप के इस प्रस्ताव में सबसे विवादास्पद पहलू यह है कि ‘बोर्ड ऑफ पीस’ की अध्यक्षता स्वयं ट्रंप करेंगे। आलोचकों का मानना है कि यह अमेरिकी हितों को प्राथमिकता देने और मध्य पूर्व में अमेरिकी प्रभुत्व स्थापित करने का प्रयास है। इजरायल और कई अरब राष्ट्रों द्वारा पूर्व स्वीकृति का दावा भी संदेह के घेरे में है।

 

प्रस्तावित कैदी-बंधक अदला-बदली (33 बनाम 1950 कैदी) का असंतुलित अनुपात चौंकाने वाला है। यह व्यवस्था हमास के लिए अत्यधिक लाभकारी प्रतीत होती है, जिससे प्रश्न उठता है कि क्या यह वास्तविक समझौता है या राजनीतिक दिखावा।

 

गाजा में विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापना और अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल की तैनाती महत्वाकांक्षी लक्ष्य हैं। परंतु इन योजनाओं का क्रियान्वयन जटिल भू-राजनीतिक चुनौतियों से भरा है।

 

ट्रंप का प्रस्ताव निर्विवाद रूप से साहसिक है, किंतु इसमें अनेक विवादास्पद तत्व समाहित हैं। फिलिस्तीनी आत्मनिर्णय का वादा आकर्षक है, लेकिन व्यावहारिक कार्यान्वयन संदिग्ध है। यदि हमास इसे स्वीकार करता है, तो यह मध्य पूर्व की राजनीति में परिवर्तनकारी क्षण हो सकता है। अस्वीकृति की स्थिति में परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं। अगले 72 घंटे निर्धारित करेंगे कि यह प्रस्ताव शांति की दिशा में कदम है या राजनीतिक महत्वाकांक्षा का प्रदर्शन।

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