दिल्ली के जामिया नगर से धर्मांतरण के षड्यंत्रकारियो के पकड़े जाने से आज पूरे देश को यह स्पष्ट हो गया है कि धर्मांतरण का जाल कितना गहरा, व्यापक, घिनौना और राष्ट्रव्यापी है। ये लोग अभी तक भोले और मासूमों को अपना शिकार बनाते थे। अब वे मूक-बधिर बालकों को भी निशाना बनाने का अमानवीय अपराध कर रहे हैं। कई बच्चे लापता हैं। इनको आतंकी गतिविधियों में शामिल किए जाने की आशंका है।
इनको विदेशों से भी पैसा मिल रहा है तथा मुस्लिम समाज का एक वर्ग इनका समर्थन भी कर रहा है। इसीलिए बिना तथ्यों के जाने एक मुस्लिम नेता ने इनको निरपराध घोषित कर दिया। हो सकता है इनके बचाव के लिए ये लोग बड़ी-बड़ी फीसें देकर बड़े वकीलों की एक फौजी भी खड़ी कर दे जैसा ये पहले भी करते रहे हैं। इनका यह षड्यंत्र आज का नहीं है। इस्लाम के भारत में प्रवेश के साथ ही धर्मांतरण का कुचक्र शुरू हो गया था। इस षड्यंत्र का स्वरूप राष्ट्रव्यापी है तथा इसके कई रूप सामने आ चुके हैं। इसीलिए एक न्यायपालिका ने कहा था कि लव जिहाद धर्मांतरण का सबसे घिनौना रूप है।
कोरोना काल में पीड़ितों की सहायता के लिए संपूर्ण देश पूर्ण समर्पण के साथ जुटा है परंतु, जेहादी और मिशनरी अपने इस घिनौने एजेंडे को लागू करने में लगे हैं। उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण विरोधी कानून होने के कारण इनका यह गिरोह पकड़ा गया परंतु जहां यह कानून नहीं है, वहां तो, इनके लिए मैदान खुला है। टूल किट गैंग इनकी सहायता के लिए तत्पर रहता ही है।
विहिप का मत है कि अब धर्मांतरण के इस घिनौने स्वरूप की व्यापक जांच के लिए नियोगी कमीशन जैसा जांच आयोग बनाना चाहिए जिसका कार्यक्षेत्र संपूर्ण देश हो। नियोगी कमीशन और वेणु गोपाल कमीशन ने धर्मांतरण विरोधी केंद्रीय कानून बनाने की सिफारिश की थी। संविधान सभा के कई सदस्य भी इसी मत के थे। इसलिए केंद्र सरकार को अवैध धर्मांतरण रोकने के लिए एक कानून बनाने पर विचार करना चाहिए। धर्मांतरण के कारण देश विभाजन की एक त्रासदी झेल चुका है और जेहादी आतंकवाद की पीड़ा का सामना कर रहा है। अब भारत को इस मानवता विरोधी षड्यंत्र से मुक्त कराने का समय आ गया है।