केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी सुधारों से नगालैंड की पारंपरिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिलने जा रही है। कृषि, हस्तशिल्प, हैंडलूम और पर्यटन जैसे क्षेत्रों पर आधारित राज्य की स्थानीय आय को सशक्त बनाने के लिए सरकार ने कई प्रमुख उत्पादों और सेवाओं पर कर दरों में कटौती की है। इससे उत्पाद सस्ते होंगे, प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और हजारों लोगों की आय में बढ़ोतरी की उम्मीद है।
सरकार ने हैंडलूम, बांस-गन्ना उत्पाद, कॉफी और होटल सेवाओं पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिया है। इस कदम से 44,000 महिला बुनकरों, 13,000 बांस एवं बेंत कारीगरों, 2,200 कॉफी उत्पादकों और सैकड़ों होटल संचालकों को सीधा लाभ मिलेगा।
हैंडलूम उद्योग को राहत
नगालैंड के हैंडलूम उत्पाद, विशेष रूप से प्रसिद्ध “चकहेसांग शॉल”, देश-विदेश में लोकप्रिय हैं। अब इन उत्पादों पर कर घटने से 2,500 रुपये तक के वस्त्र लगभग 6% सस्ते हो जाएंगे। इससे स्थानीय बुनकरों की आय में वृद्धि होगी और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में नगालैंड के वस्त्रों की मांग और भी बढ़ेगी।
पर्यटन को बढ़ावा
कोहिमा, दीमापुर और किसामा जैसे क्षेत्रों में पर्यटन नगालैंड की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण स्तंभ है। हॉर्नबिल फेस्टिवल के कारण यहां होटल और होमस्टे उद्योग तेजी से उभर रहा है। अब होटल सेवाओं पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिए जाने से ₹7,500 तक के होटल कमरे लगभग 6.25% सस्ते होंगे, जिससे घरेलू और विदेशी पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा।
बांस-बेंत उद्योग को मजबूती
नगालैंड के बांस और बेंत उत्पाद अपनी गुणवत्ता और पारंपरिक कारीगरी के लिए प्रसिद्ध हैं। इस उद्योग में करीब 13,000 लोग कार्यरत हैं। अब फर्नीचर और हैंडीक्राफ्ट पर कर घटने से इन उत्पादों की कीमतें लगभग 6% तक कम होंगी, जिससे बाजार में मांग बढ़ेगी और कारीगरों की आय में सुधार होगा।
कॉफी उद्योग को अंतरराष्ट्रीय प्रोत्साहन
राज्य के मोकोकचुंग, वखा, मोन, जुन्हेबोटो और तुएनसांग जिलों में कॉफी उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है। अब भुनी हुई कॉफी पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% और कॉफी एक्सट्रैक्ट पर 18% से घटाकर 5% करने से इसकी कीमतें 6% से 11% तक कम होंगी। इससे छोटे किसानों और एमएसएमई इकाइयों को सीधा लाभ मिलेगा, साथ ही नगालैंड कॉफी की वैश्विक प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी।
स्थानीय विकास को बढ़ावा
इन सुधारों से नगालैंड की स्थानीय अर्थव्यवस्था में नई जान आएगी। सस्ते उत्पादों और बढ़ते रोजगार के अवसरों से न केवल बुनकरों, किसानों और कारीगरों की आमदनी बढ़ेगी, बल्कि राज्य की सांस्कृतिक पहचान और आर्थिक विकास को भी नई मजबूती मिलेगी।