नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने देश की संसद को भंग करने के अपने फैसले का सुप्रीम कोर्ट में बचाव किया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि न्यायपालिका प्रधानमंत्री की नियुक्ति करने के लिए विधायिका और कार्यपालिका के अधिकारों का इस्तेमाल नहीं कर सकती। संसद भंग किये जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 9 जून को प्रधानमंत्री कार्यालय को कारण बताओ नोटिस जारी कर 15 दिन के अंदर जवाब देने को कहा था। श्री ओली का जवाब नेपाल के अटॉर्नी जनरल की ओर से आज भेजा गया।
प्रधानमंत्री ओली की सिफारिश पर राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने 22 मई को पांच महीनों के भीतर दूसरी बार संसद को भंग कर 12 और 19 नवम्बर को आम चुनाव कराने जाने की घोषणा की थी। ओली सरकार के अल्पमत में आ जाने और सदन में विश्वास मत खो देने के बाद संसद को भंग करने का फैसला लिया गया था।