एक समय भारत को एक विकासशील एवं शांतिप्रिय राष्ट्र के रूप में देखा जाता था, लेकिन पिछले एक दशक में उसके वैश्विक गतिविधि-क्षेत्र और कूटनीतिक प्रभाव में नाटकीय वृद्धि हुई है। पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत की गई सटीक कार्रवाई ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत की कार्रवाई क्षमता का संदेश दिया। इस परिवर्तन के केंद्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दूरदृष्टिपूर्ण नेतृत्व है, जिसने 2014 में अपने कार्यकाल की शुरुआत से ही विदेश यात्राओं को रणनीतिक रूप में संचालित किया।
मोदी सरकार के 2014–2025 के बीच 88 विदेश दौरे 73 देशों में हुए, जिनमें अमेरिका (10), जापान, रूस एवं यूएई (प्रत्येक 7) प्रमुख हैं। प्रत्येक यात्रा ने ‘ब्रांड इंडिया’ को मजबूत करते हुए सुरक्षा, निवेश और तकनीकी साझेदारियों पर बल दिया। इज़रायल के साथ वैधानिक संबंधों की पुनरावृत्ति, राफेल व अन्य रक्षा सौदे तथा क्वाड व शंघाई सहयोग संगठन (SCO) दोनों में सक्रिय भागीदारी ने भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को रेखांकित किया।
आतंकवाद के खिलाफ कूटनीति में भारत ने पाकिस्तान प्रायोजित नेटवर्क को वैश्विक स्तर पर बेनकाब किया। यूएन, G7 आउटरीच, BRICS और COP सम्मेलनों में भारत की सक्रिय उपस्थिति विश्वभर में सुनवाई सुनिश्चित करती है। इसी कड़ी में कोविड-19 के दौरान ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल ने 100 से अधिक देशों को टीके उपलब्ध कराकर भारत की वैश्विक जनकल्याण नीति को प्रतिष्ठित किया।
विविध क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने में भी सफलता मिली—जापान से बुलेट ट्रेन परियोजना, UAE एवं अन्य देशों से बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश तथा भारत-अमेरिका टेक्नोलॉजी पार्टनरशिप ने अर्थव्यवस्था को बल दिया। साथ ही मैडिसन स्क्वायर गार्डन से लेकर संयुक्त राष्ट्र महासभा तक प्रवासी भारतीयों एवं वैश्विक समुदाय से भावनात्मक जुड़ाव ने ‘विश्व गुरु’ के रूप में भारत की छवि स्थापित की।
कुल मिलाकर प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति ने भारत को सिर्फ सुनने वाले देश से कूटनीतिक नेतृत्व करने वाले वैश्विक साझेदार में परिवर्तित कर दिया है। एक दशक, एक दृष्टि और अडिग संकल्प ने भारत को विश्व राजनीति में एक केंद्रीय अभिकरण बना दिया है।