विश्व के प्रथम त्रि-सेवा महिला नौकायन अभियान ‘समुद्र प्रदक्षिणा’ ने महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। यह दल श्रीलंका के तटों और भूमध्य रेखा को पार कर ऐतिहासिक सफलता प्राप्त कर चुका है। भारतीय सेना के अनुसार, यह प्रत्येक नौवहन मील साहस, लचीलेपन और नारी शक्ति का प्रतीक है तथा भारत की भावना को विश्व के महासागरों में प्रसारित कर रहा है।
रक्षा मंत्री द्वारा 11 सितंबर को प्रारंभ किया गया यह अभियान सीमाओं से परे साहस, त्रि-सेवा एकीकरण और आत्मनिर्भर भारत का प्रतिनिधित्व करता है। अभियान दल का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कर्नल अनुजा वरुडकर और स्क्वाड्रन लीडर श्रद्धा पी. राजू कर रही हैं। इस 10 सदस्यीय दल में मेजर करमजीत कौर, मेजर ओमिता दलवी, कैप्टन प्राजक्ता पी. निकम, कैप्टन दौली बुटोला, लेफ्टिनेंट कमांडर प्रियंका गुसाईं, विंग कमांडर विभा सिंह, स्क्वाड्रन लीडर अरुवी जयदेव एवं स्क्वाड्रन लीडर वैशाली भंडारी सम्मिलित हैं।
दल ने तीन वर्षों का गहन प्रशिक्षण प्राप्त किया है। प्रशिक्षण क्लास-बी जहाजों पर छोटे अपतटीय अभियानों से आरंभ हुआ और अक्टूबर 2024 में क्लास-ए नौका आईएएसवी त्रिवेणी तक विकसित हुआ। उनकी तैयारी में भारत के पश्चिमी तट पर क्रमिक चुनौतीपूर्ण यात्राएं और मुंबई से सेशेल्स तक का अंतरराष्ट्रीय अभियान शामिल था।
‘समुद्र प्रदक्षिणा’ में सबसे कठिन चरण दिसंबर 2025 और फरवरी 2026 के मध्य दक्षिणी महासागर में केप हॉर्न की परिक्रमा होगी। विशाल तरंगें, शीत पवनें और अप्रत्याशित मौसमी परिवर्तन इसे नाविक कौशल की चरम परीक्षा बनाते हैं। दल निगरानी प्रणालियों में कार्य करते हुए नौवहन, रखरखाव एवं अन्य आवश्यक कार्य संभालेगा।
अभियान के दौरान, टीम राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान के सहयोग से वैज्ञानिक अनुसंधान भी करेगी, जिसमें सूक्ष्म प्लास्टिक अध्ययन, समुद्री जीवों का प्रलेखन और समुद्री पर्यावरण संरक्षण सम्बंधी जागरूकता शामिल है।
इससे पूर्व, ब्रिटेन के सर रॉबिन नॉक्स-जॉनस्टन ने 1969 में पहली एकल परिक्रमा पूर्ण की थी। भारत में कैप्टन दिलीप डोंडे (सेवानिवृत्त) और कमांडर अभिलाष टॉमी (सेवानिवृत्त) ने क्रमशः 2009-10 और 2012-13 में इस उपलब्धि को हासिल किया था। भारतीय नौसेना द्वारा पूर्व में नाविका सागर परिक्रमा (2017-18) और नाविका सागर परिक्रमा-II (2024-25) सफलतापूर्वक संपन्न किए गए।