भारत की नई तकनीक: एयर-टु-एयर मिसाइलों की मारक क्षमता में वृद्धि

Caption: ChhapraToday.com

भारत ने हाल ही में हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों की मारक दूरी बढ़ाने के लिए एक नई तकनीक को सफलतापूर्वक विकसित किया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने ओडिशा के चांदीपुर में स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) में सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट (एसएफडीआर) का अंतिम परीक्षण किया, जो पूरी तरह सफल रहा। इस स्वदेशी तकनीक के माध्यम से भारत को लंबी दूरी की एयर-टु-एयर मिसाइलें विकसित करने में सहारा मिलेगा।

डीआरडीओ के अनुसार, एसएफडीआर प्रणोदन आधारित मिसाइल प्रणाली का अंतिम प्रायोगिक परीक्षण सभी उद्देश्य सफलतापूर्वक पूरा करते हुए संपन्न हुआ। चांदीपुर में आयोजित इस परीक्षण में विभिन्न उन्नत रेंज इंस्ट्रूमेंट्स जैसे टेलीमेट्री, रडार और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम ने प्रणाली के सफल प्रदर्शन को सत्यापित किया। इस तकनीक को हैदराबाद की रक्षा अनुसंधान प्रयोगशाला ने अन्य शोध संस्थानों के सहयोग से विकसित किया है, जिसमें पुणे की उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला भी शामिल है।

एसएफडीआर का विकास 2013 में आरंभ हुआ और ग्राउंड आधारित परीक्षण 2017 में शुरू हुआ था। भारत ने नोजल-कम बूस्टर का प्रदर्शन करते हुए हाइपरसोनिक मिसाइल का विकास भी किया है, जो ध्वनि की गति से आठ गुना तेज यात्रा कर सकती है। यह मिसाइल सशस्त्र बलों की क्षमता को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। भारत की नई तकनीक न केवल रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वैश्विक रक्षा प्रौद्योगिकी में भी एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है।

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