एक वकील राहुल तिवारी द्वारा दायर की इस जनहित याचिका में दावा किया गया कि राज्य में कई क्रिकेट मैदानों में पीने के पानी और ‘टॉयलेट’ जैसी बुनियादी सुविधायें नहीं हैं जबकि इन पर उभरते हुए और पेशेवर क्रिकेट खेलते हैं। इसमें दक्षिण मुंबई का एक मैदान भी शामिल है जिसकी देखरेख मुंबई क्रिकेट संघ करता है।
पीठ ने फिर कहा कि महाराष्ट्र के कई जिलों में आज तक भी हर रोज पीने के पानी की ‘सप्लाई’ नहीं होती। दत्ता ने कहा, ‘‘क्या आप जानते हैं कि औरंगाबाद को हफ्ते में केवल एक बार पीने का पानी मिलता है। आप (क्रिकेटर) अपने पीने का पानी क्यों नहीं ला सकते? आप क्रिकेट खेलना चाहते हो जो हमारा खेल है भी नहीं। यह मूल रूप से भारत का खेल नहीं है। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘आप (क्रिकेटर) भाग्यशाली हो कि आपके माता-पिता आपको ‘चेस्ट गार्ड’, ‘नी गार्ड’ और क्रिकेट के लिये सभी जरूरी चीजें खरीद सकते हैं। अगर आपके माता-पिता आपको यह सब सामान दिला सकते हैं तो वे आपको पीने के पानी की बोतल भी खरीद सकते हैं। जरा उन गांव वालों के बारे में सोचो जो पीने का पानी खरीद नहीं सकते। ’’
इसके बाद उन्होंने याचिका निरस्त कर दी।