दिल्ली की एक अदालत ने यासीन मलिक को आतंकी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराने के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इससे पहले, यासीन ने सभी आरोप स्वीकार करते हुए स्वयं को दोषी मान लिया था। आरोपों में अवैध गतिविधि, रोकथाम कानून के अंतर्गत आरोप भी शामिल थे।
एनआईए ने दिल्ली की अदालत से यासीन मलिक के लिए मृत्यु दण्ड की मांग की थी। मामले की सुनवाई के दौरान जांच एजेंसी ने विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह को बताया कि मलिक कश्मीरी पंडितों के पलायन के लिए जिम्मेदार है।
यासीन मलिक अलगाववादी संगठन (JKLF) का चीफ रह चुका है। केंद्र सरकार ने 2019 में JKLF पर प्रतिबंध लगा दिया था। उस पर कश्मीर में युवाओं को भड़काने से लेकर हाफिज सईद से मुलाकात करने जैसे तमाम गंभीर आरोप लगते रहे है। इनमें 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी के अपहरण में भूमिका निभाने का आरोप भी शामिल ह। यासीन पर 1990 में भारतीय वायुसेना के चार अधिकारियों की हत्या का भी आरोप लगा था.