दूरसंचार विधेयक, 2023 को राज्यसभा ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही 138 साल पुराना टेलीग्राफ अधिनियम खत्म हो गया। इससे पहले लोकसभा ने संक्षिप्त चर्चा के बाद इसे पारित किया था। यह विधेयक सरकार को सार्वजनिक आपातकाल के मामले में या सार्वजनिक सुरक्षा के मद्देनजर दूरसंचार नेटवर्क को अपने कब्जे में लेने की भी अनुमति देता है।
इसके अलावा, यह सार्वजनिक आपातकाल के मामले में, जनता के हित में एवं अपराध करने के लिए उकसावे को रोकने की खातिर संदेशों के प्रसारण को रोकने और उनके ‘इंटरसेप्टिंग’ का भी प्रावधान करता है।
विधेयक में उपभोक्ताओं और उनके हितों को ध्यान में रखकर प्रावधान किए गए हैं। वैष्णव ने कहा कि इस विधेयक को औपनिवेशिक काल के दो कानूनों को बदलने और ‘नए भारत’ की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए लाया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले साढ़े नौ साल में भारत का दूरसंचार क्षेत्र घोटालों से घिरे बेहद मुश्किल दौर से निकलकर एक उभरता हुआ क्षेत्र बन गया है.’’ उन्होंने यह भी कहा कि इसी अवधि के दौरान दूरसंचार टावरों की संख्या 2014 के महज छह लाख से बढ़कर 25 लाख हो गई है, जबकि इंटरनेट ब्रॉडबैंड उपयोगकर्ताओं की संख्या 1.5 करोड़ से बढ़कर 85 करोड़ हो गई है।