डॉ. जितेंद्र सिंह, केंद्रीय अंतरिक्ष मंत्री, ने जोर देकर कहा कि भारत अब वैश्विक मानकों की स्थापना कर रहा है और विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। अंतरिक्ष, जैव प्रौद्योगिकी और परमाणु ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति की गई है, जिसने भारत को विश्व स्तर पर प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है।
भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में नवाचार और विकास की अभूतपूर्व दर की वजह से देश ने अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोगों (स्पेडेक्स), गगनयान, चंद्रयान-4, और आने वाले भारतीय अंतरिक्ष स्टेशनों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। इस क्षेत्र में भारत की आय योगदान 157 मिलियन डॉलर और 260 मिलियन यूरो तक पहुँच गया है, जिससे भारत उपग्रह प्रक्षेपण के लिए एक विश्वसनीय गंतव्य बन गया है।
चंद्रयान-3 की सफलता, जिसने भारत को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहली बार उतरने वाला देश बना दिया, ने अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की प्रमुख उपस्थिति को मजबूती प्रदान की है।
परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में भी डॉ. सिंह ने साझा किया कि भारत ने 2047 तक 100 गीगावाट की परमाणु ऊर्जा प्राप्त करने का लक्ष्य तय किया है, जिससे कार्बन उत्सर्जन में 50 प्रतिशत तक कमी लाने का उद्देश्य है।
अंतरिक्ष और विज्ञान क्षेत्र में भारत की बढ़ती हुई वैश्विक प्रतिष्ठा और महत्वाकांक्षी योजनाएँ आगामी दशक में अग्रगामी विकास हेतु पथ प्रदर्शक साबित होंगी, जिससे देश का नेतृत्व और मजबूत होगा।