लोक गायिका शारदा सिन्हा, जिन्हें ‘बिहार कोकिला’ के नाम से जाना जाता है, का निधन 9 बजकर 20 मिनट पर मंगलवार रात को हुआ। उनके देहांत की सूचना ने संगीत प्रेमियों और उनके फॉलोअर्स को गहरा दुख पहुंचाया। उनके पार्थिव शरीर को बुधवार को सुबह पटना ले जाने के लिए इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर लाया गया। यह तय किया गया है कि उनका अंतिम संस्कार गुरुवार को पटना में किया जाएगा। शारदा सिन्हा एक गंभीर बीमारी, मल्टीपल मायलोमा, से पीड़ित थीं। सोमवार को उनकी स्थिति बिगड़ने के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।
उनके बेटे अंशुमान सिन्हा ने कहा कि यह परिवार और उनके प्रशंसकों के लिए बहुत दुख की घड़ी है, खासकर यह देखते हुए कि उन्होंने छठ पूजा के पहले दिन अपनी अंतिम सांस ली। अंशुमान ने अपनी मां को याद करते हुए कहा कि शारदा सिन्हा हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेंगी। उनके मातृत्व का प्रभाव उनके गीतों और उनके व्यक्तित्व में साफ झलकता था। इस संयोग को दुखद बताते हुए उन्होंने कहा कि उनकी मां ने एक महत्वपूर्ण मौके पर हमें छोड़ दिया है, लेकिन उनका योगदान और उनकी यादें सदैव जीवित रहेंगी।
भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने इस बात की पुष्टि की कि शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उनका निधन एक अपूर्णीय क्षति है, जो देश की सांस्कृतिक धरोहर के लिए गहरा संकट है। उनके परिवार ने यह निर्णय लिया है कि शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार बिहार में ही होगा, और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उन्हें सभी सम्मान मिले। मनोज तिवारी ने कहा कि उन्होंने बिहार सरकार से संवाद किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अंतिम संस्कार उचित सम्मान के साथ किया जाए। उनके अनुसार, यह व्यक्तिगत रूप से उनके लिए भी एक बड़ा नुकसान है।
शारदा सिन्हा की नारीत्व और उनकी प्रतिभा ने उन्हें लोक संगीत में एक विशेष स्थान दिलाया। यह दुखद संयोग इस बात को और भी गंभीर बना देता है कि उनका निधन छठ पूजा के पहले दिन हुआ, जो विशेष रूप से बिहार में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। छठ पूजा का उत्सव 5 नवंबर से ‘नहाय-खाए’ की रस्म से प्रारंभ होता है और इस अवसर पर उनकी गाई हुई मधुर गीतों को बहुत पसंद किया जाता है। उनके योगदान ने इस पर्व की सुंदरता को और बढ़ाया है।