मणिपुर में कानून-व्यवस्था और सुरक्षा के मद्देनजर, केंद्रीय सरकार ने सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (AFSPA) के कार्यकाल को बढ़ाने का निर्णय लिया है। गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, मणिपुर अब भी ‘अशांत क्षेत्र’ के रूप में वर्गीकृत है, जिसके चलते AFSPA को अगले छह महीनों के लिए जारी रखा गया है। हालाँकि, इस निर्णय में 5 जिलों के 13 पुलिस स्टेशनों को इस आदेश से बाहर रखा गया है, जो यह इंगीत करता है कि कुछ क्षेत्रों में स्थिति में सुधार हुआ है।
मणिपुर लंबे समय से अलगाववादी समूहों और उग्रवादी गतिविधियों का सामना कर रहा है। AFSPA के अंतर्गत सुरक्षा बलों को संदिग्ध व्यक्तियों को गिरफ्तार करने, तलाशी लेने और आवश्यकतानुसार बल प्रयोग करने का अधिकार प्राप्त है। हालांकि, इस कानून को लेकर विवाद भी गर्म है, क्योंकि यह संदेह जताता है कि इसकी शक्तियों का दुरुपयोग हो सकता है।
नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में भी AFSPA को छह महीने के लिए बढ़ाया गया है। नागालैंड में दीमापुर, निउलैंड और मोन जिलों में यह कानून लागू रहेगा, जबकि अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी इसे जारी रखा गया है। सरकार का मानना है कि जब तक इन क्षेत्रों में सामान्य स्थिति नहीं लौटती, तब तक सुरक्षा बलों को विशेष अधिकार दिए जाना आवश्यक है।
AFSPA, जो 1958 में लागू हुआ था, भारतीय सेनाओं और अन्य सुरक्षा बलों को आतंकवाद और उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए विशेष अधिकार प्रदान करता है। हालांकि, मानवाधिकार संगठनों ने इस कानून के तहत नागरिकों के अधिकारों पर हो रहे संभावित हनन के बारे में चिंताओं का इजहार किया है। चूंकि मणिपुर में कई बार AFSPA को हटाने की मांग उठ चुकी है, लेकिन सरकार का निर्णय है कि जब तक वहां सुरक्षा पूरी तरह से बहाल नहीं होती, तब तक इस कानून की आवश्यकता है।