देश की राजधानी दिल्ली और उसके आसपास की आबोहवा मंगलवार को लगातार चौथे दिन बेहद खराब रही. राष्ट्रीय राजधानी और उसके आसपास के इलाके में पूरे दिन आसमान में धुंध की चादर छाई रही। दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) भी बहुत खराब श्रेणी में दर्ज किया गया।
पुणे स्थित भारतीय ऊष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान द्वारा विकसित संख्यात्मक मॉडल-आधारित प्रणाली के अनुसार, वर्तमान में शहर की खराब वायु गुणवत्ता में वाहन उत्सर्जन (11% से 16%) और पराली जलाने (7% से 16%) का सबसे ज्यादा योगदान है। इससे यह भी पता चलता है कि राजधानी के प्रदूषण में उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर के प्रदूषक तत्वों की हिस्सेदारी 14 फीसदी है।
कई मरीजों को एयर पॉल्यूशन ने इस कदर परेशान कर दिया कि उन्हें AIIMS की एमरजेंसी में दाखिल करना पड़ा। AIIMS समेत कुल चार अस्पतालों की स्टडी में यह सामने आया है कि वायु प्रदूषण से केवल सांस के मरीजों की ही नुकसान नहीं हो रहा है। ऐसे लोगों के लिए ज्यादा बड़ा खतरा है जो सांस की बीमारी के साथ साथ डायबिटीज या दिल की बीमारी के शिकार हैं। इसकी वजह से आम दिनों के मुकाबले प्रदूषण के मौसम में AIIMS की एमरजेंसी पहुंचन वाले मरीजों की संख्या में 53% की बढ़ोतरी हो गई। यानी एमरजेंसी में पहुंचे आधे मरीजों को दिल्ली-NCR की हवा ने बहुत बीमार कर दिया।