राज्यसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को गुरुवार को 11 घंटे की व्यापक चर्चा के बाद समाप्ति पर मंजूरी दे दी गई। यह विधेयक इससे पहले लोकसभा से भी पारित हो चुका है। ऊपरी सदन में विधेयक के पक्ष में 128 मत और विरोध में 95 मत पड़े। विधेयक का उद्देश्य वक्फ बोर्ड के ढांचे में सुधार लाना और कानूनी विवादों की संख्या को कम करना है।
अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री, किरेन रिजिजू ने विपक्ष के आरोपों का खंडन करते हुए, दावा किया कि विधेयक का मूल उद्देश्य लोकतांत्रिक ढंग से वक्फ संपत्तियों का उचित प्रबंधन सुनिश्चित करना है। उन्होंने विपक्ष पर विधेयक के संदर्भ में भ्रांतियां फैलाने का आरोप लगाया। विपक्ष द्वारा प्रस्तावित सभी संशोधनों को खारिज कर दिया गया और डीएमके सांसद तिरुचि शिवा का एक संशोधन विभाजन मत के बावजूद गिर गया।
इस विधेयक की सार्वजनिक परामर्श प्रक्रिया में राष्ट्रीय स्तर पर 284 संगठनों से बातचीत की गई और एक करोड़ से अधिक सुझाव प्राप्त हुए। वक्फ बोर्ड के सदस्यों में तीन से अधिक गैर-मुस्लिमों को रखने की सीमा तय की गई, ताकि मुसलमानों के हितों की रक्षा सुनिश्चित हो सके।
नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस विधेयक को राजनीतिक लाभ उठाने का साधन बताया और आरोप लगाया कि यह भारत की विविधता को कमजोर करने की साजिश है। वहीं, अल्पसंख्यक विभाग का बजट पिछले पांच वर्षों में 4,700 करोड़ से घटकर 2,608 करोड़ हो गया है, जिसे लेकर भी विपक्ष ने सवाल उठाए।