बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि मैमनसिंह जिले में ध्वस्त की जा रही इमारत का प्रख्यात फिल्मकार सत्यजीत रे या उनके पूर्वजों से कोई ऐतिहासिक या पारिवारिक संबंध नहीं है। यह वक्तव्य भारत सरकार द्वारा भेजे गए पत्र के जवाब में जारी किया गया।
अभिलेखों की विस्तृत जांच से प्रमाणित हुआ है कि संबंधित भवन स्थानीय जमींदार शशिकांत आचार्य चौधरी द्वारा अपने कर्मचारियों के लिए निर्मित कराया गया था। जमींदारी प्रथा के उन्मूलन के उपरांत यह संपत्ति सरकारी नियंत्रण में आई और बाद में बांग्लादेश ‘शिशु अकादमी’ को दीर्घकालिक पट्टे पर आवंटित की गई।
जिला प्रशासन द्वारा भूमि अभिलेखों की समीक्षा से पुष्टि हुई है कि यह सरकारी भूमि है। स्थानीय वरिष्ठ नागरिकों और समुदाय के प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने भी इस तथ्य की पुष्टि की है कि इस भवन का सत्यजीत रे परिवार से कोई संबंध नहीं है। यह भवन पुरातात्विक स्मारक के रूप में भी पंजीकृत नहीं है।
हालांकि, भवन के सामने की सड़क का नामकरण सत्यजीत रे के परदादा हरिकिशोर रे के नाम पर किया गया है। रे परिवार का इस सड़क पर एक घर था, जिसे उन्होंने बहुत पहले विक्रय कर दिया था और वर्तमान में वहां एक बहुमंजिला इमारत स्थित है।
वर्तमान में ध्वस्त की जा रही इमारत जीर्ण-शीर्ण और असुरक्षित थी। 2014 से शिशु अकादमी अन्यत्र स्थानांतरित हो गई थी, जिससे परित्यक्त भवन अवैध गतिविधियों का केंद्र बन गया था। इसी कारण निर्धारित प्रक्रिया का अनुपालन करते हुए नीलामी के माध्यम से इस इमारत को हटाने का निर्णय लिया गया, जिसकी सूचना मार्च 2025 में राष्ट्रीय और स्थानीय समाचार माध्यमों द्वारा व्यापक रूप से प्रसारित की गई थी।