भारतीय अर्थव्यवस्था पर ट्रंप-राहुल विवाद: वास्तविकता क्या है?

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था पर की गई टिप्पणियों और उन्हें समर्थन देने वाले विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बयानों ने राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है।

सत्ताधारी भाजपा ने राहुल गांधी के बयान को देश की साख को नुकसान पहुंचाने वाला बताया। बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि राहुल ने “140 करोड़ भारतीयों के पसीने और मेहनत का अपमान किया है।” उन्होंने IMF और विश्व बैंक के आंकड़ों का हवाला देते हुए भारत की तेज विकास दर का उल्लेख किया।

महत्वपूर्ण बात यह है कि कांग्रेस के भीतर भी इस मुद्दे पर एकमत नहीं दिखा। शशि थरूर, मनीष तिवारी और राजीव शुक्ला जैसे वरिष्ठ नेताओं ने ट्रंप के बयान का खंडन किया। इंडिया गठबंधन के कई सहयोगियों ने भी राहुल के दृष्टिकोण से असहमति जताई।

आंकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती की पुष्टि करते हैं। भारत वर्तमान में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जो मनमोहन सिंह के कार्यकाल में 11वें स्थान से काफी आगे निकल चुकी है। IMF के अनुसार, भारत के 2025 और 2026 में 6.4% की दर से बढ़ने का अनुमान है, जो अमेरिका (1.9%) और जापान (0.7%) से काफी अधिक है।

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता, तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल निर्माता और चौथा सबसे मजबूत शेयर बाजार है। ग्रीनफील्ड एफडीआई परियोजनाओं में भारत विश्व में अग्रणी है और 121 यूनिकॉर्न के साथ तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है।

जुलाई 2025 में जीएसटी संग्रह 1.96 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 7.5% अधिक है। यह आंकड़ा भी आर्थिक सुदृढ़ता का प्रमाण देता है।

निष्कर्षतः, आर्थिक संकेतक स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि भारत विश्व अर्थव्यवस्था में “ब्राइट स्पॉट” बना हुआ है और ट्रंप तथा राहुल गांधी के दावे वास्तविकता से मेल नहीं खाते।

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