विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एमपॉक्स को अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल की श्रेणी से हटा दिया है। डब्ल्यूएचओ महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयेसस ने आपातकालीन समिति की सिफारिश स्वीकार करते हुए यह निर्णय लिया है।
डॉ. टेड्रोस ने बताया, “शुक्रवार को समिति ने पुनः बैठक कर यह सलाह दी कि वर्तमान स्थिति अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल नहीं है, जिसे मैंने स्वीकार कर लिया है।” यह निर्णय कांगो, बुरुंडी, सिएरा लियोन और युगांडा जैसे प्रभावित देशों में मामलों एवं मृत्यु दर में आई निरंतर गिरावट के आधार पर लिया गया है।
हालांकि, डब्ल्यूएचओ ने स्पष्ट किया है कि आपातकाल समाप्त होने का अर्थ खतरे का पूर्णतः समाप्त होना नहीं है। अफ्रीका रोग नियंत्रण केंद्र (अफ्रीका सीडीसी) ने एमपॉक्स को अभी भी महाद्वीपीय स्वास्थ्य आपातकाल मानते हुए सतर्कता बनाए रखने का आह्वान किया है। घाना, लाइबेरिया, केन्या, जाम्बिया और तंजानिया में नए मामलों में वृद्धि देखी गई है, हालांकि समग्र महाद्वीप में साप्ताहिक पुष्ट मामलों में 52% की गिरावट आई है।
एमपॉक्स एक वायरल जूनोटिक रोग है जो जानवरों से मनुष्यों में संक्रमित होता है। प्रारंभिक लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और लिम्फ नोड्स में सूजन शामिल हैं, जिसके बाद त्वचा पर दाने निकलते हैं। अधिकांश संक्रमित व्यक्ति कुछ सप्ताहों में स्वस्थ हो जाते हैं, परंतु बच्चों और एचआईवी पीड़ितों के लिए जोखिम अधिक गंभीर है।
मई 2022 से, विश्व के 100 से अधिक देशों में एमपॉक्स के मामले दर्ज किए गए हैं। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि नए प्रकोपों की संभावना बनी हुई है, अतः निरंतर निगरानी और प्रतिक्रिया क्षमता का विकास आवश्यक है।