प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि सरकार का लक्ष्य सभी नागरिकों के लिए आवश्यक वैज्ञानिक कसौटियों पर खरी उतरने वाली वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि जिस तरह कोविड से लड़ाई में प्रत्येक जान बचाने पर ध्यान दिया गया, उसी तरह यह सुनिश्चित करने को प्राथमिकता दी जाएगी कि प्रत्येक व्यक्ति को वैक्सीन मिले। उन्होंने कहा कि सरकारों को यह सुनिश्चित करने के लिए हर स्तर पर मिल कर काम करना होगा कि टीकाकरण अभियान सुगमतापूर्वक, व्यवस्थित तरीके से और लगातार चलाया जा सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर भरोसा दिलाया कि सरकार कोविड-19 वैक्सीन बनाने पर कड़ी निगरानी रख रही है। श्री मोदी ने कहा कि सरकार वैक्सीन तैयार करने के बारे में वैश्विक विनियामकों, अन्य देशों की सरकारों, बहुपक्षीय संस्थानों और अंतर्राष्ट्रीय कम्पनियों के साथ भारतीय कम्पनियों और विनिर्माताओं के सम्पर्क में है।
प्रधानमंत्री ने कल सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के साथ वर्चुअल बैठक के दौरान यह बात कही। यह बैठक कोविड-19 से निपटने और प्रबंधन की स्थिति और तैयारियों की समीक्षा के लिए आयोजित की गई थी।
इस दौरान कोविड से प्रभावित आठ प्रमुख राज्यों पर विशेष ध्यान दिया गया। ये राज्य हैं -हरियाणा, दिल्ली, छत्तीसगढ़, केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात और पश्चिम बंगाल।
बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्यों के साथ परामर्श से टीकाकरण की प्राथमिकता का फैसला किया जा रहा है। अतिरिक्त शीत भंडारण सुविधाओं की आवश्यकता के बारे में भी राज्यों के साथ चर्चा की गई है।
श्री मोदी ने मुख्यमंत्रियों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि बेहतर परिणामों के लिए राज्य स्तरीय संचालन समिति तथा राज्य और जिला स्तरीय कार्यबल की नियमित निगरानी की जाए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अतीत के अनुभवों से हमने सीखा है कि वैक्सीन के बारे में कई तरह की भ्रांतियां और अफवाहें फैलाई जाती हैं। उन्होंने कहा कि कोविड वैक्सीन के दुष्प्रभावों के बारे में भी अफवाहें फैलाई जा सकती हैं।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि नागरिक समाज, एनसीसी और एनएसएस के विद्यार्थियों तथा मीडिया सहित हरसंभव मदद से व्यापक जागरूकता अभियान के जरिए इस तरह के प्रयासों पर अंकुश लगाया जाए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश ने सामूहिक प्रयासों कि जरिए महामारी की सामना किया है। भारत में कोविड से स्वस्थ होने की दर और मृत्यु दर तथा समग्र स्थिति विश्व के अन्य ज्यादातर देशों से बेहतर है।
उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य कोविड मृत्यु दर को एक प्रतिशत से नीचे लाना होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने जांच और उपचार सुविधा के नेटवर्क के विस्तार पर भी बल दिया। उन्होंने कहा की पीएम केयर्स फंड के तहत ऑक्सीजन उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। ऑक्सीजन की उपलब्धता के मामले में मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
श्री मोदी ने कहा कि देश मं 160 से अधिक नए आक्सीजन संयंत्र लगाने की प्रक्रिया जारी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आरटी-पीसीआर जांच की संख्या बढ़ाना, खासतौर से होम आइसोलेशन में रह रहे रोगियों की बेहतर निगरानी, ग्राम और समुदाय स्तर पर स्वास्थ्य केंद्रों में बेहतर सुविधा उपलब्ध कराना तथा वायरस से सुरक्षा के लिए जागरूकता अभियान चलाना बहुत महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बडी मजबूती के साथ कोविड-19 से लड़ाई लड़ी जा रही है, लेकिन अभी लापरवाही नही बरती जानी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वस्थ होने की अच्छी दर के मद्देनजर बहुत से लोग सोचने लगे हैं कि वायरस कमजोर हो गया है।
श्री मोदी ने सतर्क किया कि इस तरह की सोच से असावधानी बढती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वैक्सीन तैयार करने वाले अपना काम कर रहे हैं लेकिन इसके साथ ही यह सुनिश्चित करने की भी आवश्यकता है कि लोग सतर्क रहें और वायरस के फैलने पर अंकुश लगा रहे। श्री मोदी ने संक्रमण की दर को 5 प्रतिशत से नीचे लाने की आवश्यकता पर बल दिया।
प्रधानमंत्री के साथ वर्चुअल बैठक में अन्य राज्यों के अतिरिक्त दिल्ली, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के मुख्यमंत्री भी शामिल हुए।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन, कैबिनेट सचिव राजीव गौबा, स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण और नीति आयोग के सदस्य डॉ वी के पॉल भी इस उच्च स्तरीय कोविड समीक्षा बैठक में उपस्थित थे।
इससे पहले, शुक्रवार को प्रधानमंत्री ने वैक्सीन तैयार करने और उसे जनता को उपलब्ध कराने के लिए भारत की कार्यनीति के बारे में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की थी।