विदेश मंत्रालय ने कहा है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने फादर स्टैन स्वामी को उचित कानूनी प्रक्रिया के तहत गिरफ्तार करने के बाद हिरासत में लिया था। मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कार्यकर्ता स्टैन स्वामी के निधन पर मीडिया के सवालों पर कहा कि अदालतों ने उनके खिलाफ आरोपों की विशेष प्रकृति के कारण उनकी जमानत याचिकाओं को खारिज किया था। उन्होंने कहा कि देश में अधिकारी कानून के उल्लंघन के खिलाफ काम करते हैं न कि अधिकारों के वैध प्रयोग के खिलाफ। श्री बागची ने कहा कि इस तरह की सभी कार्रवाई पूरी तरह कानून के अनुसार होती है।
बम्बई उच्च न्यायालय ने स्टैन स्वामी के खराब स्वास्थ्य को देखते हुए एक निजी अस्पताल में उनके उपचार की अनुमति दी थी, जहां उन्हें 28 मई से हर संभव चिकित्सा सहायता मिल रही थी। उनके स्वास्थ्य और उपचार पर अदालतों द्वारा कड़ी नजर रखी जा रही थी। पांच जुलाई को उपचार के दौरान कुछ समस्याओं के कारण उनका निधन हो गया।
श्री बागची ने कहा कि लोकतांत्रिक और संवैधानिक राज्य व्यवस्था एक स्वतंत्र न्यायपालिका, उल्लंघनों की निगरानी करने वाले राष्ट्रीय और राज्य स्तर के मानवाधिकार आयोगों, एक स्वतंत्र मीडिया और एक जीवंत और मुखर नागरिक समाज की सहायता से चलती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत अपने सभी नागरिकों के मानवाधिकारों के संवर्धन और संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।