छठ महापर्व पर देशभर में श्रद्धा और उल्लास का माहौल, राष्ट्रपति-मंत्रियों ने दी शुभकामनाएं

देशभर में आस्था, श्रद्धा और लोकसंस्कृति के प्रतीक छठ महापर्व की धूम है। चार दिनों तक चलने वाले इस पावन पर्व के अवसर पर घाटों पर लाखों श्रद्धालु सूर्य उपासना में लीन नजर आ रहे हैं। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा सहित कई नेताओं ने देशवासियों को शुभकामनाएं दीं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सोमवार को ‘एक्स’ पर संदेश जारी करते हुए लिखा,
“महापर्व छठ पूजा के पावन अवसर पर मैं सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई देती हूं। यह त्योहार सूर्य देव और छठी मईया की उपासना करने तथा मां प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है। मेरी कामना है कि यह पर्व सभी के जीवन में सुख-समृद्धि लाए और हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करे।”

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी अपने संदेश में छठ को लोक आस्था का प्रतीक बताया। उन्होंने लिखा,
“छठ महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं! उमंग, उत्साह और उल्लास से भरा यह पर्व आप सभी के जीवन में नई ऊर्जा और समृद्धि का संचार करे। छठी मईया की कृपा सभी पर बनी रहे। जय छठी मईया!”

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने अपने संदेश में कहा,
“लोक आस्था और भगवान भास्कर के प्रति अगाध श्रद्धा को समर्पित छठ महापर्व की आप सभी को कोटिशः बधाई। यह पर्व आस्था, लोक संस्कृति, समर्पण और त्याग का अद्भुत संगम है। छठ का प्रत्येक अर्घ्य जीवन में प्रकाश, सत्य और संतुलन का संदेश देता है। छठी मईया और भगवान सूर्य सभी के जीवन को सुख-समृद्धि और आरोग्य प्रदान करें।”

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने भी देशवासियों को बधाई दी और कहा कि छठ पूजा भगवान सूर्य की उपासना और प्रकृति के प्रति आभार का पर्व है।

वहीं, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने अपने संदेश में लिखा,
“संध्या अर्घ्य छठ पूजा का मुख्य दिन है, जो भक्ति और प्रकृति के साथ गहरे जुड़ाव का प्रतीक है। सूर्य देव और छठी मईया सभी के जीवन को उज्ज्वल और सुख-समृद्ध बनाएं।”

देश के विभिन्न राज्यों में गंगा, यमुना और अन्य नदियों के घाटों पर आज शाम संध्या अर्घ्य के लिए लाखों श्रद्धालु एकत्र हो रहे हैं। वातावरण लोकगीतों, मंत्रोच्चार और भक्ति की भावना से गूंज रहा है।
सूर्य उपासना और पर्यावरण संरक्षण का अद्भुत संगम माने जाने वाला यह पर्व भारत की सबसे पवित्र और जीवंत परंपराओं में से एक के रूप में मनाया जा रहा है।

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