सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने वकील राकेश किशोर के खिलाफ कड़ा कदम उठाया है, जिन्होंने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई से दुर्व्यवहार किया था। एसोसिएशन की कार्यकारिणी समिति ने इस घटना को गंभीर कदाचार मानते हुए राकेश किशोर का अस्थायी पंजीकरण (टेंपरेरी रजिस्ट्रेशन) रद्द कर दिया है और उनके सुप्रीम कोर्ट परिसर में प्रवेश पास (एंट्री कार्ड) को भी तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया है।
एससीबीए की कार्यकारिणी समिति ने गुरुवार को पारित एक प्रस्ताव में कहा कि 6 अक्टूबर को घटी यह घटना किसी भी वकील के लिए अनुचित और अपमानजनक आचरण का उदाहरण है। समिति ने इस कृत्य को पेशेवर आचार संहिता का उल्लंघन, न्यायिक शिष्टाचार का अपमान और सुप्रीम कोर्ट की गरिमा पर आघात बताया।
एसोसिएशन ने अपने संकल्प में कहा कि ऐसा व्यवहार न केवल न्यायपालिका की स्वतंत्रता और अदालत की कार्यवाही की पवित्रता को ठेस पहुंचाता है, बल्कि बार और बेंच के बीच वर्षों से स्थापित पारस्परिक सम्मान और विश्वास के संबंधों को भी कमजोर करता है। समिति ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि राकेश किशोर का एसोसिएशन का सदस्य बने रहना संगठन की मर्यादा और अनुशासन के अनुरूप नहीं है।
विस्तृत विचार-विमर्श के बाद एससीबीए ने राकेश किशोर की सदस्यता को तत्काल प्रभाव से समाप्त करने का फैसला लिया और उनका नाम एसोसिएशन के सदस्य सूची से हटा दिया गया। साथ ही, एससीबीए द्वारा जारी किया गया उनका सदस्यता कार्ड भी जब्त कर लिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट सचिवालय को पत्र भेजकर सूचित किया है कि राकेश किशोर का कोर्ट परिसर में प्रवेश पास तत्काल रद्द किया जाए। यह निर्देश संबंधित अधिकारियों और एसोसिएशन के सभी सदस्यों को भी भेजा जाएगा ताकि इस पर त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित हो सके।
एससीबीए ने अपने संकल्प में दोहराया कि वह न्यायपालिका की गरिमा, कानूनी पेशे की प्रतिष्ठा और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के प्रति पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है। संगठन ने स्पष्ट किया कि न्यायिक प्रणाली की स्वतंत्रता और अनुशासन न्याय व्यवस्था की आधारशिला हैं, और इन सिद्धांतों को किसी भी रूप में चुनौती नहीं दी जा सकती।