वस्तु और सेवा कर प्रणाली को कल चार साल पूरे हो जायेंगे। इस दौरान सरकार द्वारा इस प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण नीतिगत पहल की गई। यह प्रणाली सहकारी संघवाद का एक उल्लेखनीय उदाहरण है जिसमें जीएसटी परिषद में सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिए गए हैं।
बहुस्तरीय, जटिल अप्रत्यक्ष कर ढांचे को बदलकर इस नई प्रणाली में कई प्रकार के करों को समाहित किया गया जिसमें भारत को एक आर्थिक संघ बनाने का मार्ग प्रशस्त हुआ।