धान कटाई सीजन के साथ ही पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में तेजी आ गई है, जिससे दिल्ली-एनसीआर और उत्तर भारत के वायु प्रदूषण पर असर पड़ने की आशंका है।
कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, 15 अक्टूबर तक एक दिन में 31 नए मामले दर्ज हुए हैं, जिससे राज्य में कुल संख्या 165 पहुंच गई है।
अमृतसर सबसे आगे, तरन तारन दूसरे स्थान पर
अमृतसर जिले में 68 घटनाएं दर्ज की गई हैं — जो राज्य में सबसे ज्यादा हैं। इसके बाद तरन तारन में 47, पटियाला में 11, और फिरोजपुर में 6 मामले सामने आए हैं। वहीं, मोगा, मुक्तसर, रूपनगर और पठानकोट जैसे जिलों में अब तक एक भी घटना की सूचना नहीं मिली है।
165 निरीक्षणों में 97 जगह पर पराली जलाने की पुष्टि
सीएक्यूएम रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक 165 स्थलों का निरीक्षण किया गया, जिनमें से 97 स्थानों पर पराली जलाने की पुष्टि हुई। इस पर कार्रवाई करते हुए 89 किसानों पर 4.40 लाख रुपए का पर्यावरण मुआवजा लगाया गया है, जिनमें से 3.15 लाख रुपए वसूले जा चुके हैं।
कड़ी निगरानी और सख्त कार्रवाई शुरू
पंजाब सरकार ने पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सघन निगरानी अभियान शुरू किया है। रिपोर्ट के अनुसार, बीएनएस की धारा 223 के तहत 80 से अधिक एफआईआर दर्ज की गई हैं। साथ ही 55 किसानों के राजस्व रिकॉर्ड में ‘रेड एंट्री’ की गई है — यानी उनके भूमि रिकॉर्ड में उल्लंघन का उल्लेख कर दिया गया है।
अमृतसर और तरन तारन में सबसे ज्यादा कार्रवाई
अमृतसर में अब तक 32 किसानों पर जुर्माना, 32 एफआईआर, और 32 रेड एंट्री दर्ज की गई हैं। तरन तारन में 47 एफआईआर और 13 रेड एंट्री की गई हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अब तक किसी नोडल या सुपरवाइजरी अधिकारी के खिलाफ अभियोजन नहीं हुआ है, लेकिन 67 चेतावनी और शो कॉज नोटिस जारी किए गए हैं।
किसानों को वैकल्पिक उपाय अपनाने की अपील
सीएक्यूएम ने राज्य प्रशासन से आग्रह किया है कि वे फसल अवशेष जलाने की घटनाओं पर सख्ती बरतें और किसानों को वैकल्पिक प्रबंधन उपायोंको अपनाने के लिए प्रेरित करें।
अब तक पंजाब के 31.72 लाख हेक्टेयर धान क्षेत्र में से लगभग 19.5% क्षेत्र की कटाई पूरी हो चुकी है।