पी एम केयर्स कोष से ऑक्सीकेयर सिस्टम की एक लाख पचास हजार इकाइयों की खरीद की मंजूरी दी गई है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन- डी आर डी ओ ने इन्हें विकसित किया है।
इसके लिए पी एम केयर्स कोष से तीन अरब 22 करोड़ रूपए से अधिक राशि खर्च की जाएगी। ऑक्सीकेयर एस पी ओ टू आधारित ऑक्सीजन आपूर्ति प्रणाली है, जो रोगियों को दी जा रही ऑक्सीजन को नियंत्रित रखती है।
इसके तहत एक लाख मैनुअल और पचास हजार ऑटोमेटिक ऑक्सीकेयर सिस्टम के साथ नॉन-रिब्रीदर मॉस्क भी खरीदे जा रहे हैं।
ऑक्सीकेयर सिस्टम एस पी ओ टू लेवल पर आधारित पूरक ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है और व्यक्ति को हाईपोक्सिया की स्थिति में जाने से बचाता है। हाईपोक्सिया की स्थिति मरीज के लिए जानलेवा हो सकती है।
इस प्रणाली का विकास डी आर डी ओ की बेंगलूरू स्थित रक्षा जैव अभियांत्रिकी और इलेक्ट्रो मेडिकल प्रयोगशाला- डी ई बी ई एल ने किया है। यह प्रणाली अत्यधिक उंचाई वाले क्षेत्रों में निरंतर तैनात सैनिकों के लिए विकसित की गई है। स्वदेश विकसित यह प्रणाली व्यवहारिक और अत्यधिक उपयोगी है।
इसे कोविड मरीजों के उपचार के लिए प्रभावी रूप से उपयोग किया जा सकता है।
इस प्रणाली के दो रूप हैं। इसके बेसिक रूप में दस लीटर का ऑक्सीजन सिलेंडर, प्रेशर रेगुलेटर- फ्लो कंट्रोलर, ह्यूमिडीफायर और नासल कैन्युला शामिल हैं। ऑक्सीजन का प्रवाह एस पी ओ टू रीडिंग के आधार पर मैनुअली नियंत्रित किया जाता है।
दूसरे रूप में ऑक्सीजन सिलेंडर का नियंत्रण इलेक्ट्रोनिक रूप से किया जाता है। इसमें कम दाब वाले रेगुलेटर और एस पी ओ टू प्रोब के जरिए ऑक्सीजन का प्रवाह ऑटोमेटिक रूप से नियंत्रित किया जाता है।
डी आर डी ओ ने यह प्रौद्योगिकी भारत में कई उद्योगों को सौंपी है, जो ऑक्सीकेयर सिस्टम का निर्माण करेंगे।