लोकसभा ने बुधवार को विपक्ष के हंगामे के बीच मर्चेंट शिपिंग (संशोधन) विधेयक, 2024 को ध्वनिमत से पारित किया। यह विधेयक भारतीय समुद्री कानूनों को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप लाने और समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा एवं प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देने हेतु प्रस्तुत किया गया।
विपक्षी सदस्यों द्वारा बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण पर चर्चा की मांग को लेकर निरंतर नारेबाजी की गई, जिससे सदन की कार्यवाही बाधित हुई। दोपहर सत्र स्थगित होने के पश्चात, संध्या राय की अध्यक्षता में कार्यवाही पुनः आरंभ हुई, परंतु विपक्ष के व्यवधान से सामान्य कामकाज प्रभावित रहा।
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल द्वारा प्रस्तुत विधेयक 1958 के मर्चेंट शिपिंग अधिनियम में महत्वपूर्ण संशोधन करता है। प्रमुख प्रावधानों में जहाजों की परिभाषा का विस्तार, रिसाइक्लिंग हेतु अस्थायी पंजीकरण और समुद्री शिक्षा का विनियमन सम्मिलित है।
भाजपा सांसदों ब्रजेश चौटा और मुकेश दलाल ने विधेयक का समर्थन किया, हालांकि हंगामे के कारण उनके विचार स्पष्ट रूप से सुने नहीं जा सके।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष को स्मरण कराया कि सरकार चर्चा के लिए तत्पर है, परंतु नियम 325 और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ के 1988 के निर्णय का अनुपालन आवश्यक है। उन्होंने संसदीय मानदंडों के सम्मान और सदन के सुचारु संचालन का आग्रह किया।
विधेयक पारित होने के उपरांत, सभापति ने कार्यवाही गुरुवार तक स्थगित कर दी। यह विधेयक MARPOL और मलबे हटाने संबंधी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के अनुरूप भारतीय समुद्री क्षेत्र के आधुनिकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिससे वैश्विक शिपिंग बाजारों में भारत की स्थिति सुदृढ़ होगी।