बांग्लादेश में आज विजय दिवस मनाया जा रहा है। 1971 में आज ही के दिन देश ने बंगबंधु शेख मुजिबुर्रहमान के नेतृत्व में पाकिस्तान से आजादी प्राप्त की थी और वह एक स्वतंत्र राष्ट्र बना था।
इस अवसर पर राष्ट्रपति एम अब्दुल हमीद और प्रधानमंत्री शेख हसीना की ओर से स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों को ढाका के निकट सावर स्थित राष्ट्रीय स्मारक पर पुष्प अर्पित किये गये।
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने अपने फेसबुक पोस्ट में उन भारतीय सेनाओं को श्रद्धांजलि अर्पित की है जिन्होंने मुक्तिवाहनी और बांग्लादेश की सेना के साथ मिलकर आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
इस मौके पर अपने संदेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना ने चेतावदी दी कि सरकार देश में धर्म के नाम पर किसी को अराजकता फैलाने की इजाजत नहीं देगी। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार धार्मिक उत्तेजना को राजीनतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करके देश में सामाजिक अशांति फैलाने के प्रयास को हर हाल में रोकेगी।
बांग्लादेश को लालन शाह, रविन्द्रनाथ टैगोर, काजी नजरूल इस्लाम और जीवोनंदा की धरती बताते हुए प्रधानमंत्री शेख हसीना ने याद दिलाया कि बांग्लादेश को आजाद कराने में मुस्लिम, हिन्दू, बौद्ध और ईसाई सभी सम्प्रदाय और धर्म के लोगों ने बलिदान दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि बांग्लादेश अध्यात्मिक और विविधता का देश है।
शेख हसीना ने लोगों को सचेत किया कि कुछ शक्तियां सीधे सादे मुसलमानों को भ्रमित करने और देश में राजनीतिक तथा सामाजिक अशांति फैलाकर देश में 50 वर्ष पहले की स्थिति वापस लाना चाहते हैं। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि वे बांग्लादेश की स्वतंत्रता संग्राम की भावना को बनाए रखें और अपने पूर्वजों के बलिदान को न भूलें।
1971 में इसी दिन ढाका में बांग्लादेश में पाकिस्तानी सेना के कमांडर जनरल ए के नियाजी ने अपने 90 हजार से अधिक सैनिकों के साथ भारतीय सेना और मुक्तिवाहनी सेना के सामने हथियार डाल दिए थे और इस तरह एक नये राष्ट्र बांग्लादेश का जन्म हुआ था।