सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि ट्विटर 26 मई से लागू हुए दिशानिर्देशों का पालन करने में असफल रहा है। उन्होंने कहा कि ट्विटर को इसके अनुपालन के लिए कई अवसर दिए गए थे। लेकिन उसने जानबूझकर इसका पालन नहीं करने का रास्ता चुना है।
श्री प्रसाद ने आश्चर्य व्यक्त किया कि जब विदेश में काम करने वाली भारतीय कंपनियां स्वेच्छा से स्थानीय कानूनों का पालन करती हैं, तो ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म दुर्व्यवहार और दुरुपयोग के पीड़ितों को आवाज देने के लिए बनाए गए भारतीय कानूनों का पालन करने में अनिच्छा क्यों दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कानून का शासन भारतीय समाज का आधार है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी के लिए भारत की प्रतिबद्धता को जी7 शिखर सम्मेलन में दोहराया गया।
श्री प्रसाद ने कहा, यदि कोई विदेशी संस्था यह मानती है कि वह यहां के कानून का पालन न करके भाषण की स्वतंत्रता के समर्थक के रूप में खुद को पेश कर सकती है तो ऐसे प्रयास गलत हैं। एक उदाहरण देते हुए श्री प्रसाद ने कहा कि उत्तर प्रदेश में जो हुआ, वह फर्जी खबरों से लड़ने में ट्विटर की मनमानी का उदाहरण है।
उन्होंने कहा, ट्विटर जो अपने तथ्य जांच तंत्र के बारे में अति उत्साही रहा है, उसका उत्तर प्रदेश जैसे अनेक मामलों में कार्रवाई करने में विफल रहना हैरान करने वाला है और यह भ्रामक सूचना से लड़ने में उसकी विसंगति को दिखाता है।