केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस बात का आश्वासन दिया है कि उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को बर्फीली चट्टाने खिसकने से उत्पन्न आपदा से निपटने के लिए बचाव और सामान्य स्थिति कायम करने के लिए सभी उपाय किये जा रहे हैं। राज्यसभा में आज एक बयान में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सूचित किया है कि बाढ़ से निचले इलाकों में किसी तरह का खतरा नहीं है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में नदी का जलस्तर कम हो रहा है। श्री शाह ने यह भी बताया कि हिमस्खलन की दुर्घटना समुद्र तल से पांच हजार छह सौ मीटर की ऊंचाई पर हुई। उन्होंने कहा कि एन.टी.पी.सी. परियोजना के 12 कर्मियों को बचा लिया गया है। ऋषिगंगा परियोजना के 15 अन्य कर्मी भी बचा लिये गये हैं। उन्होंने कहा कि एन.टी.पी.सी. की एक अन्य परियोजना के करीब 25 से 35 लोग सुरंग में फंसे हुए हैं और उन्हें बचाने का प्रयास जारी है। गृहमंत्री ने बताया कि सरकार ने आपदा में मारे गये लोगों के परिवारों के लिए चार-चार लाख रुपये की सहायता की घोषणा की है। श्री शाह ने कहा कि अचानक आई बाढ़ से इलाके में एक महत्वपूर्ण पुल बह गया है, जिससे 13 छोटे गांवों के साथ संपर्क कट गया है। उन्होंने कहा कि इन लोगों के लिए खाद्य पदार्थ और चिकित्सा सामग्री हेलीकॉप्टरों से पहुंचाई जा रही है।
श्री शाह ने कहा कि जिस सुरंग में मजदूर फंसे हुए हैं, उसमें से सेना के जवानों ने रातभर के अभियान के दौरान काफी मलबा निकाला है। उन्होंने कहा कि केन्द्र, स्थिति पर लगातार निगाह रखे हुए है और प्रधानमंत्री भी खुद स्थिति का जायजा ले रहे हैं।
गृह मंत्री ने कहा कि आई.टी.बी.पी. के साढ़े चार सौ कर्मी एन.डी.आर.एफ. की पांच टीमें, सेना के आठ दल, नेवी की एक टीम, वायु सेना के पांच हेलीकॉप्टर, सशस्त्र सीमा बल की एक टीम और डी.आर.डी.ओ. के वैज्ञानिकों का एक दल राहत और बचाव कार्यों का दुर्घटना स्थल पर लगातार निरीक्षण कर रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले साल के बजट में उत्तराखंड को आपदा राहत के लिए दिये गये एक हजार 41 करोड़ रुपये में से 468 करोड़ रुपये की पहली किस्त राहत कार्य के लिए स्वीकृत की जा चुकी है।
राज्यसभा के सदस्यों ने इस त्रासदी में जान गंवाने वाले लोगों की स्मृति में एक मिनट मौन खड़े होकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
श्री शाह ने कहा कि कल शाम पांच बजे तक मिली खबरों के अनुसार प्राकृतिक आपदा से बीस लोगों की मौत हुई है और 197 लापता हैं, जिनमें एन.टी.पी.सी. परियोजना में काम करने वाले 139 लोग भी शामिल हैं। बाकी 46 लोग ऋषिगंगा परियोजना में काम करने वाले हैं।