उत्तर कोरिया ने पूर्वी सागर में दागी बैलिस्टिक मिसाइल, अमेरिका के नए प्रतिबंधों के बाद बढ़ा तनाव

उत्तर कोरिया ने शुक्रवार को एक बार फिर पूर्वी सागर (Sea of Japan) की ओर कम दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइल दागी है। यह मिसाइल परीक्षण ऐसे समय हुआ है जब एक दिन पहले ही अमेरिका ने उत्तर कोरिया की दो कंपनियों और आठ व्यक्तियों पर नए प्रतिबंध लगाए थे। इससे क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है।

दक्षिण कोरिया के ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ (JCS) ने जानकारी दी कि मिसाइल को उत्तरी फ्योंगान प्रांत के ताएगवान काउंटी से स्थानीय समयानुसार दोपहर 12:35 बजे लॉन्च किया गया। मिसाइल लगभग 700 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद समुद्र में जा गिरी। जेसीएस ने बताया कि दक्षिण कोरियाई और अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को इस लॉन्च की तैयारी की पहले से जानकारी थी और उस पर कड़ी निगरानी रखी जा रही थी।

फिलहाल मिसाइल की तकनीकी विशेषताओं और रेंज का विश्लेषण किया जा रहा है। दक्षिण कोरिया ने इस घटना को “क्षेत्रीय स्थिरता के लिए गंभीर खतरा” बताया है और कहा कि इस संबंध में अमेरिका और जापान के साथ सूचनाएं साझा की गई हैं।

यह उत्तर कोरिया का इस वर्ष का छठा बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण है। जून में पदभार ग्रहण करने के बाद से दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे म्युंगके कार्यकाल में यह दूसरी बार मिसाइल लॉन्चिंग हुई है।

इससे पहले, अमेरिका ने उत्तर कोरिया की दो कंपनियों और आठ नागरिकों पर प्रतिबंध लगाए थे, जिन पर आरोप था कि उन्होंने अवैध साइबर गतिविधियों और धन शोधन (money laundering) के जरिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सिस्टम का दुरुपयोग किया। इन प्रतिबंधों को लेकर प्योंगयांग ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी।

उत्तर कोरिया के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि अमेरिकी कार्रवाई “वाशिंगटन की शत्रुतापूर्ण और नफरत भरी नीति” को उजागर करती है। बयान में चेतावनी दी गई थी कि प्योंगयांग “उचित और दृढ़ प्रतिक्रिया” देगा।

विश्लेषकों का कहना है कि यह मिसाइल परीक्षण उसी चेतावनी का हिस्सा है और इसका उद्देश्य अमेरिका पर राजनयिक दबाव बनाना है। अमेरिकी अधिकारियों ने इसे अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन बताया है और उत्तर कोरिया से उकसावे वाली गतिविधियों को रोकने की अपील की है।

गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में उत्तर कोरिया के साथ कूटनीतिक वार्ता शुरू करने की इच्छा जताई थी। उन्होंने पहले दक्षिण कोरिया की यात्रा के दौरान किम जोंग-उन से मुलाकात की संभावना भी व्यक्त की थी, लेकिन वह बैठक नहीं हो पाई। अब प्रतिबंधों और मिसाइल परीक्षणों की इस श्रृंखला ने दोनों देशों के बीच तनाव को फिर से गंभीर स्तर पर पहुंचा दिया है

एशिया-प्रशांत क्षेत्र के सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति आने वाले दिनों में कूटनीतिक अस्थिरता बढ़ा सकती है और इससे अमेरिका-चीन-उत्तर कोरिया त्रिकोणीय समीकरण पर भी असर पड़ने की संभावना है।

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