उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कृषि विशेषज्ञों के देश छोडकर जाने को रोकने के उपाय करने को कहा है और पढे-लिखे नौजवानों से आग्रह किया है कि वे कृषि को व्यवसाय के रूप में अपनाएं। उन्होंने विचार व्यक्त किया कि भारतीय कृषि का भविष्य कृषि के टेक्नोलॉजी पर आधारित तौर-तरीकों पर निर्भर है और ये तौर-तरीके आधुनिक सोच वाले जानकार किसान ही अपना सकते हैं। 2030 में भारतीय कृषि के बारे में राष्ट्रीय संवाद का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उद्घाटन करते हुए श्री नायडू ने कहा कि कृषि भारतीय पारिस्थिकी, संस्कृति तथा सभ्यता का आधार स्तंभ है। उन्होंने खाद्य सुरक्षा की बजाय पोषण सुरक्षा पर ध्यान देने का आग्रह किया। उपराष्ट्रपति ने कृषि में काम आने वाली वस्तुओं की लागत कम करने की आवश्यकता पर जोर दिया और जैविक खेती को बडे पैमाने पर बढावा देने का आह्वान किया।
खेती में रसायनों का उपयोग न करने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि जैविक खेती किसानों, उपभोक्ताओं और पर्यावरण सहित सभी के लिए फायदेमंद है। उन्होंने जैविक खेती को जनांदोलन बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि इससे न सिर्फ देश धनवान बनेगा बल्कि बलवान भी बनेगा। उपराष्ट्रपति ने कृषि को देश की आत्मा बताया और कहा कि कृषि खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था और लोगों की आजीविका के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।