तलाक के लिए अब वेटिंग पीरियड की इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का अहम फैसला आया है। संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि SC आर्टिकल 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए ऐसे रिश्तों में जहां सुधार की कोई गुजाइश न बची हो,तलाक़ दे सकता है। इसके लिए कपल को जरूरी वेटिंग पीरियड की इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं है।

मौजूदा विवाह कानूनों के मुताबिक पति-पत्नी की सहमति के बावजूद पहले फैमिली कोर्ट्स एक समय सीमा तक दोनों पक्षों को पुनर्विचार करने का समय देते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “परंपरागत तरीके से हिंदू लॉ जब कोडिफाईड नहीं हुआ था, तब शादी एक धार्मिक संस्कार थी। वह शादी रजामंदी से खत्म नहीं हो सकती थी।

हिंदू मैरिज एक्ट आने के बाद तलाक का प्रोविजन आया। 1976 में रजामंदी से तलाक का प्रोविजन किया गया। इसके तहत फर्स्ट मोशन के 6 महीने के बाद दूसरा मोशन दाखिल किए जाने का प्रोविजन है और तभी तलाक होता है। इस दौरान 6 महीने का कूलिंग पीरियड इसलिए किया गया, ताकि अगर जल्दबाजी या गुस्से में फैसला हुआ हो तो समझौता हो जाए और शादी को बचाया जा सके।”

 

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