
कोचीन शिपयार्ड द्वारा निर्मित स्वदेशी विमान वाहक पोत आई एन एस विक्रांत को अपने बेडे में शामिल करने के साथ ही भारतीय नौसेना ने एक इतिहास रचा है। विक्रांत को नौसेना को सौंपे जाने के साथ ही भारत उन चुनिंदा राष्ट्रों में शामिल हो गया है जो देश में ही विमानवाहक समुद्री जहाज का निर्माण करते हैं।।
विक्रांत अगले महीने तक भारतीय नौसेना में शामिल होकर पूर्ण रूप से कार्यरत हो जायेगा। भारत के पहले विमान वाहक जहाज का नाम भी विक्रांत था जिसने 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 36 वर्ष की शानदार सेवा के बाद विक्रांत 31 जनवरी 1997 को कार्य मुक्त कर दिया गया।
आईएसी-1 भारत में बनाया गया अभी तक का सबसे बड़ा युद्धपोत है। इसका भार लगभग 45,000 टन है। इसे देश की सबसे महत्वाकांक्षी नौसैनिक पोत परियोजना भी माना जाता है। नया पोत अपने पूर्ववर्ती की तुलना में काफी बड़ा और उन्नत है, जो 262 मीटर लंबा है। इसे चार गैस टर्बाइन के जरिये कुल 88 मेगावॉट की ताकत मिलेगी।
इस पोत की अधिकतम गति 28 नॉटिकल मील है। इसके मुताबिक, करीब 20,000 करोड़ रुपये की लागत वाली यह परियोजना रक्षा मंत्रालय और सीएसल के बीच हुए अनुबंध के साथ तीन चरणों में आगे बढ़ी।