रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि भारत ने चीन के साथ समझौते के परिणामस्वरूप अपने किसी क्षेत्र को छोड़ा नहीं है। मंत्रालय ने कहा कि इसके उलट वास्तविक नियंत्रण रेखा – एल ए सी का पालन और सम्मान किया गया है और यथास्थिति में किसी भी प्रकार का एकतरफा परिवर्तन नहीं किया गया। रक्षा मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर पैंगोंग झील के सम्बन्ध में कुछ गलत और भ्रामक टिप्पणियों को देखते हुए यह बयान जारी किया गया। मंत्रालय ने कहा कि संसद के दोनों सदनों में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह द्वारा स्पष्ट रूप से तथ्यात्मक स्थिति को पहले ही स्पष्ट किया गया है।
मंत्रालय ने कहा कि रक्षामंत्री के बयान ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और डेपसांग सहित अन्य स्थानों पर कुछ समस्यायें हैं, जिनका समाधान किया जाएगा। पैंगोंग झील पर विवाद के हल होने के 48 घंटे के भीतर बकाया मुद्दों को उठाया जायेगा। रक्षामंत्री ने कहा था कि फिंगर-4 तक ही भारतीय क्षेत्र के चीन के दावे में कोई सच्चाई नहीं है और भारत के नक्शे में दर्शाये गए क्षेत्र में, 1962 से चीन के अवैध कब्जे वाला 43 हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक का क्षेत्र शामिल है।
मंत्रालय ने कहा कि यहां तक कि एलएसी की हमारी अवधारणा फिंगर 4 पर नहीं बल्कि फिंगर 8 पर है। यही कारण है कि भारत ने चीन के साथ वर्तमान में फिंगर 8 तक गश्त करने का अधिकार लगातार बनाए रखा है।
यह भी उल्लेख किया गया कि पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर दोनों पक्षों की स्थायी चौकियां स्थापित की गई हैं। भारतीय इलाके में फिंगर-3 के पास धनसिंह थापा पोस्ट है और फिंगर-8 के पूर्व में चीन है। वर्तमान समझौते में दोनों पक्षों द्वारा आगे की तैनाती को रोकने और इन स्थायी चौकियों पर तैनाती जारी रखने का प्रावधान है।
मंत्रालय ने कहा है कि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में भारत के राष्ट्रीय हित और क्षेत्र की प्रभावी सुरक्षा बनाये रखी गई है, क्योंकि सरकार को अपने सशस्त्र बलों की क्षमताओं पर पूरा विश्वास है। बयान में कहा गया है कि जो लोग भारतीय सैन्यकर्मियों के बलिदान से संभव हुई उपलब्धियों पर संदेह करते हैं, वे वास्तव में उनका अपमान कर रहे हैं