भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने मंगलवार को पंजाब सरकार द्वारा आवंटित बजट में से 6.5% से 20.74% तक स्वास्थ्य निधि का उपयोग न करने की बात सामने लाई। विधानसभा में पेश की गई सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन पर आधारित 2024 की निष्पादन लेखापरीक्षा रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि सरकार ने 2021-22 के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं पर कुल व्यय का केवल 3.11% और जीएसडीपी का 0.68% खर्च किया, जो कि बजट के 8% और जीएसडीपी के 2.50% से काफी कम है।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि राज्य कार्यक्रम कार्यान्वयन योजनाएं 10 से 108 दिनों की देरी से केंद्र सरकार को प्रस्तुत की गईं, जिससे अनुमोदन और धन प्राप्ति में विलंब हुआ। कैग ने बताया कि मार्च 2022 तक पंजाब निरोगी योजना के तहत पंजाब निरोगी सोसायटी (4.92 करोड़ रुपये) और मुख्यमंत्री पंजाब कैंसर राहत कोष योजना (76.81 करोड़ रुपये) में भारी मात्रा में सरकारी धन अप्रयुक्त पड़ा था। इसके अतिरिक्त, राजिंदरा अस्पताल, पटियाला द्वारा 2021-22 तक एकत्र किए गए 1.94 करोड़ रुपये के उपयोगकर्ता शुल्क और पंजाब स्वास्थ्य प्रणाली निगम को हस्तांतरित 85.70 करोड़ रुपये की रियायती शुल्क राशि भी सरकारी खाते के बाहर पड़ी थी, जोकि कोडल प्रावधानों के उल्लंघन में थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजाब में राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन, परिवार कल्याण, कायाकल्प और राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) जैसी केंद्र प्रायोजित योजनाओं का कार्यान्वयन निर्धारित लक्ष्यों के अनुरूप नहीं था। विभिन्न योजनाओं के तहत आवंटित धनराशि के उपयोग में कमी आई, और परिवार कल्याण योजना तथा जननी सुरक्षा योजना के तहत वित्तीय सहायता और प्रोत्साहन का भुगतान न किए जाने के मामले सामने आए। कायाकल्प की अपेक्षा वाले स्वास्थ्य संस्थानों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है और राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानकों से प्रमाणित संस्थानों में स्थिर वृद्धि नहीं देखी गई।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत मोबाइल स्वास्थ्य टीमों में अपर्याप्त कर्मचारियों के कारण बच्चों की जांच पर प्रभाव पड़ा। केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित आवश्यक दवाओं की अनुपलब्धता के बावजूद मोबाइल स्वास्थ्य टीमों के पास आयरन, फोलिक एसिड एवं एल्बेंडाजोल के अलावा कोई आवश्यक दवा, ड्रॉप्स और मलहम उपलब्ध नहीं थे। कैग ने स्वास्थ्य सेवाओं के जिम्मेदार प्रावधान सुनिश्चित करने के लिए नियामक तंत्र की प्रभावशीलता पर भी प्रश्न उठाया।











