इज़रायल-ईरान के मध्य पिछले पांच दिनों से जारी संघर्ष के परिप्रेक्ष्य में, मंगलवार को जी7 देशों के नेताओं ने मध्य-पूर्व में शांति एवं स्थिरता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है। इसके साथ ही उन्होंने इज़रायल के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया है।
शिखर सम्मेलन से जारी संयुक्त वक्तव्य में, जी7 नेताओं ने ईरान को क्षेत्रीय अस्थिरता एवं आतंकवाद का ‘प्रमुख स्रोत’ घोषित किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ईरान को परमाणु हथियार निर्माण की अनुमति कदापि नहीं दी जानी चाहिए। साथ ही, सभी पक्षों से गाज़ा में युद्धविराम और तनाव न्यूनीकरण हेतु प्रयास करने का आग्रह किया गया है।
वक्तव्य में यह भी उल्लेखित किया गया है कि जी7 देश ऊर्जा बाज़ार की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई हेतु तत्पर हैं।
इस बीच, स्थिति और अधिक गंभीर हो गई है। इज़रायल ने तेहरान के निवासियों को संभावित हवाई हमलों से पूर्व शहर खाली करने की चेतावनी जारी की है, जो व्यापक आक्रमण का संकेत दे रही है। परिस्थितियों की गंभीरता को देखते हुए, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जी7 शिखर सम्मेलन की अपनी यात्रा एक दिन संक्षिप्त कर दी है।
संघर्ष के दौरान दोनों देशों ने एक-दूसरे पर मिसाइल एवं ड्रोन आक्रमण किए हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ पर राष्ट्रपति ट्रंप ने नागरिकों से तेहरान छोड़ने का आग्रह किया है। उन्होंने यह भी कहा है कि यदि ईरान अमेरिका के साथ परमाणु समझौते पर सहमत होता, तो वर्तमान संकट से बचा जा सकता था।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि शीघ्र तनाव न्यूनीकरण के उपाय नहीं किए गए, तो संघर्ष और भी विकराल रूप धारण कर सकता है।