केंद्र सरकार ने राष्ट्र विरोधी गतिविधियों और सुरक्षाबलों पर घातक हमले करने को लेकर सोमवार को नौ मेइती चरमपंथी समूहों और उनके सहयोगी संगठनों पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया, जो ज्यादातर मणिपुर में सक्रिय हैं। गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, मेइती उग्रवादी समूहों ने अपना उद्देश्य सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से मणिपुर को भारत से अलग कर एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाना और इसके लिए मणिपुर के स्थानीय लोगों को उकसाना बताया है।
गृह मंत्रालय ने जिन समूहों को पांच साल के लिए प्रतिबंधित किया है, उनमें पीपुल्स लिबरेशन आर्मी, जिसे आम तौर पर पीएलए के नाम से जाना जाता है, और इसकी राजनीतिक शाखा रिवॉल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (आरपीएफ), यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) और इसकी सशस्त्र शाखा मणिपुर पीपुल्स आर्मी (एमपीए) शामिल हैं। इनमें पीपुल्स रिवॉल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांगलेईपाक (पीआरईपीएके), कांगलेईपाक कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी), कांगलेई याओल कनबा लुप (केवाईकेएल), कोऑर्डिनेशन कमेटी (कोरकॉम) और एलायंस फॉर सोशलिस्ट यूनिटी कांगलेईपाक (एएसयूके) भी शामिल हैं।
मंत्रालय ने कहा कि मेइती चरमपंथी संगठनों की गतिविधियों को भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए हानिकारक माना जाता है और वे गैरकानूनी संगठन हैं। इसमें कहा गया, परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, केंद्र सरकार की राय है कि मेइती चरमपंथी संगठनों को… ‘गैरकानूनी संगठन’ घोषित करना आवश्यक है और तदनुसार, केंद्र सरकार निर्देश देती है कि यह अधिसूचना 13 नवंबर, 2023 से पांच साल की अवधि के लिए प्रभावी होगी.।











